दीपावली पर बेचारे कबाड़ीलाल के चेहरे की रंगत गायब थी। उनकी जेब के साथ चेहरे का भी दिवाला निकल रहा था। बढ़ती महंगाई ने उन्हें इतना परेशान कर दिया था कि मानो सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान पर न होकर सीधे उन्हीं पर होने वाली है। खैनी होठ के नीचे चापते हुए बोले भैया खबरीलाल, महंगाई से जीना मुश्किल हो चला है। चहुँओर महंगाई का सेंसेक्स टॉप पर है। जो उठ रहा वह गिरने का नाम नहीं ले रहा, जबकि जो गिरा है वह उठ नहीं रहा। कबाड़ीलाल जी आप बेमतलब बात का बतंगड़ बनाते हो। दिवाली पर तो आपकी बल्ले-बल्ले है। साफ-सफाई के दौरान लोग घरों का कबाड़ इसी पुनीत पर्व पर बाहर निकालते हैं और आप उस कबाड़ को खरीद कर मालामाल होते हैं, फिर भी आप कहते हैं कि महंगाई है। आप भी विरोधियों की तरह एकसूत्री कार्यक्रम में लगे हैं।
कबाड़ीलाल जी, आप पूरी तरह विपक्ष के हाथ का खिलौना बन गए हैं। दीपावली पर बजारबाद का शोर आपको शायद सुनाई नहीं दे रहा है। टीवी से लेकर अखबारों तक में बम्पर ऑफर का दौर चल रहा है। ‘बाय वन गेट थ्री’ का ज़माना है। ऑनलाइन से लेकर खुले बाजार तक लूट मची है। लेकिन आप हीरोइन और क्रूज में फंसे हैं। उधर नजर मत डालिएगा वरना एनसीबी के चलते आप बीड़ी कि फूँक भी नहीं मार सकते। क्योंकि उसका धुआं नशीला होता है, जिसकी जद में आने से अनगिनत युवा धूम्रपान के आदि हो सकते हैं। कई लोगों को फेफड़ों का संक्रमण हो सकता है।
देखिए धुएं की वजह से ही तो पराली और पटाखे पर प्रतिबन्ध लगाना पड़ा है। धुएं की वजह से ही तो बेचारी एनसीबी क्रूज तक धमक पड़ी। क्योंकि क्रूज पार्टी से स्मोकिंग के बाद जो धुआं निकलता वह समुद्री पर्यावरण को नुकसान पहुँचता सकता था। समुद्री जलजीव भी नशे के आदि हो सकते थे, लिहाजा एनसीबी को सतर्कता बरतनी पड़ी। लेकिन कबाड़ीलाल जी आप जैसे लोग भी इस राष्ट्रीय हित के फैसले पर सवाल उठा रहें हैं। देखिए टीवी वाले कितनी ईमानदारी से इस पर डिबेट कर रहे हैं।
कबाड़ीलाल जी आप बेवजह महंगाई को बदनाम करते हैं। अब आप बताइए पेट्रोल के दाम में तो अपनी टीम इंडिया निपट गई। अभी आपको महंगाई का नशा ही चढ़ा है। इतना सस्ता टी-20 का मजा आपको कहां मिलेगा। यह नायाब दीपावली का तोहफा है। खबरीलाल, अब हम आपको क्या बताएं। महंगाई का आलम यह है कि आग लगाना भी मुश्किल हो गया है। सुना है कि माचिस की तीलियों के दाम भी डेढ़ दशक बाद दोगुने हो चले हैं।
कलयुग में हनुमान जी को लंका जलानी होगी तो कैसे जलाएंगे। क्योंकि पेट्रोल के दाम जहां सेंचुरी पार हैं, वहीं केरोसीन भी सरकार ने बंद कर दिया है। फिर लंका कैसे जलेगी। कबाड़ीलाल जी, यह समस्या हनुमानजी और लंका वालों की है आप बिलावजह क्यों परेशान होते हैं। महंगाई के मुद्दे का आप धार्मिक और अंतरराष्ट्रीय करण कर रहें हैं। कबाड़ीलाल ने कहा देखिए, लोकतंत्र में सभी के अधिकारों की चिंता करनी चाहिए। आखिर हनुमानजी को भी महंगाई का सामना करना पड़ेगा।
कबाड़ीलाल जी अपने देश में लोग माचिस के बैगर भी आग लगा देते हैं। उनकी जुबान ही माचिस का काम करती है। कभी लाख प्रयास के बाद भी आग नहीं लगती और कभी आग जंगल की आग की तरह फैलती है। वैसे भी हमारे देश में आग लगाने वालों की कमी नहीं है। आप जैसे लोग तो सरकार के हर फैसले के खिलाफ आग उगलते हैं। भले यह आग माचिस, पेट्रोल और एलपीजी से लगने के बजाय जुबान से लगती हो। कबाड़ीलाल जी, वैसे भी दीपावली के बाद से ठंड अपने रौ में आ जाती है, उस दौरान लोगों को आग की सख्त जरूरत होती है। फिर तो आग जलनी चाहिए वह तेरे सीने में जले या मेरे।
बनवारीलाल जी, जब आपकी ऐसी सद्बुद्धि है तो हम आपको कितना समझाएं। आप महंगाई के प्रेम में नख से शिख तक डूब हैं। ईश्वर आपको पेट्रोल की उमर तक पहुंचाए। आपकी कीर्ति पांच किलो अनाज के झोले की तरह घर-घर पहुंचे। रुपए की तरह आप दिन-दूना और रात चौगुना की गति से लुढ़कें। जीडीपी की तरह जमींन में धंस जाएं। कोरोना से भी अधिक तेजगति से महंगाई का संक्रमण फैलाएं। आप की यश और कीर्ति एलपीजी की तरफ बढ़े।
बनवारीलाल जी कितना भी हो आप हमारे पड़ोसी हैं, फिर इस दीपावली हम आपको महंगाई जैसी बद्दुआ नहीं दे सकते। दीपवाली पर हम आपको मिलावटी खोवे की मिठाइयों और ग्रीन पटाखों के साथ शुभकामनायें देते हैं। आप बगैर कडुवा और तिल के तेल के बिना सुखी बाती बन दीपक में जलते रहने की शुभकामनायें भी देते हैं। अपने साथ उन लाखों निर्दोष कीट पतंगों को भी जलाते रहें जिनका इस गुनाह से कोई मतलब नहीं। हार्दिक दुर्भावनाओं सहित दीपावली की शुभकामनाएं।
सौजन्य – नवभारत टाइम्स