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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 2 Dec 2022 12:00 am IST

नेशनल

कैंसर की जांच और इलाज में भा लैंगिक भेदभाव के प्रमाण, जागरुकता अभियान को ठेंगा


भारत में कैंसर जैसी घातक बीमारी की जांच में भी लैंगिक भेदभाव के मामले सुनने में आ रहे हैं।  नई लैंसेट ऑन्कोलॉजी रिपोर्ट में किए गए दावे के मुताबिक, लड़कों में कैंसर के ज्यादा मामले मिल रहे हैं क्योंकि उनकी जांच लड़कियों से ज्यादा हो रही है। 

अध्ययन में साल 2005 से 2019 तक 0 से 19 वर्ष उम्र के बच्चों में प्रमुख अस्पतालों और जनगणना आधारित कैंसर रजिस्ट्री यानि पीबीसीआर में मिले कैंसर के मामलों का विश्लेषण किया गया। रिपोर्ट में दिल्ली एम्स और चेन्नई के कैंसर इंस्टीट्यूट के अध्ययनकर्ताओं ने कैंसर रोगियों के लैंगिक अनुपात और अन्य तथ्यों की गणना की। 

एम्स दिल्ली के मेडिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के प्रो. समीर बख्शी ने बताया कि, पीबीसीआर में दर्ज कैंसर के 11,000 मरीजों में लड़कों की संख्या ज्यादा मिली है। अस्पतालों में इलाज ले रहे 22 हजार कैंसर रोगियों में भी लड़के ज्यादा थे। इससे साफ जाहिर है कि, कैंसर के लक्षण मिलने पर जांच के लिए लड़कियों को कम लाया जा रहा है। खासतौर से उत्तर भारत में, जहां समाज ज्यादा पितृसत्तात्मक है। 

रिपोर्ट के की मानें तो कैंसर की जांच और इलाज में लैंगिक भेदभाव हो रहा है, लोगों को बताना होगा कि, समय रहते कैंसर का पता चलने पर रोग का बेहतर इलाज होता है।  इलाज का खर्च भी घटाना होगा। लड़कियों के इलाज के लिए विशेष योजनाएं लाई जा सकती हैं। उन्हें निशुल्क इलाज मिले, तो भेदभाव घटाने में मदद मिल सकती है।