केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों को मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम यानि एमसीटीपी के अंतर्गत प्रशिक्षण लेने के लिए विदेशों में नहीं भेजा जा रहा।
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति की 242वीं रिपोर्ट में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की विदेशों में ट्रेनिंग को लेकर सवाल किए गए, कहा गया कि, सीएपीएफ अफसर, सुरक्षा के हर मोर्चे पर तैनात हैं, इसके बावजूद उन्हें दूसरे मुल्कों में ट्रेनिंग का अवसर नहीं दिया जाता। आईपीएस अधिकारियों को विदेश में ट्रेनिंग लेने के कई अवसर मिल जाते हैं।
इसके अलावा समिति ने सीएपीएफ अधिकारियों को लेकर यह महत्वपूर्ण सिफारिश भी की है कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय को 'करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम' के तहत इन बलों के अधिकारियों को विदेशों में प्रशिक्षण दिलाना, इसे ट्रेनिंग कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
गौरतलब है कि, केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अर्धसैनिक बलों को सुरक्षा से जुड़ी हर ड्यूटी सौंपी जाती है। देश में चुनाव है या किसी राज्य में दंगा हुआ तो वहां पर सीएपीएफ को भेजा जाता है। खासतौर से इसमें सीआरपीएफ की एक बड़ी भूमिका है। भारत-चीन बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती सीमा की रक्षा कर रही बीएसएफ और नेपाल और भूटान बॉर्डर पर एसएसबी तैनात रहती है।
इतना ही नहीं अतिरिक्त सीआईएसएफ और असम राइफल जैसे बल भी अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से कर रहे हैं। एनडीआरएफ में भी सीएपीएफ के जवान और अधिकारी, प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाते हैं। सीआरपीएफ को तो जम्मू-कश्मीर में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन, नक्सल प्रभावित राज्यों में माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन और उत्तर-पूर्व के उग्रवादियों से भी लोहा लेना पड़ता है।