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• Tue, 23 Jul 2024 11:20 am IST


उत्तराखंड के इस मंदिर में शिव के साथ होती है शनिदेव की पूजा, दूर होते हैं भक्तों के सारे संकट


उत्तरकाशी में एक शिव मंदिर ऐसा है, जहां शिव के साथ शनि देव की भी पूजा होती है। यह शिव मंदिर है जोशियाड़ा स्थित कालेश्वर महादेव। मान्यता है कि यहां सच्चे मन से कोई भक्त भगवान शिव और शनि की पूजा-अर्चना करता है तो वह उसके सभी संकट दूर करते हैं। शनिवार को यहां दर्शन व पूजन के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है।जिला मुख्यालय के जोशियाड़ा क्षेत्र में पौराणिक कालेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। मंदिर के मुख्य पुजारी ब्रह्मानंद पुरी बताते हैं कि यहां कभी खेतों में हल लगाते समय शिवलिंग हल से टकराया था। जब पत्थर समझकर उसे निकालना चाहा तो वह और नीचे चला जाता।चार से साढ़े पांच फीट गहराई में जब गणेश, अंबा, कार्तिकेय, शिव परिवार की मूर्तियां मिली, तो वह शिवलिंग उससे नीचे नहीं गया और इससे नीचे खोदाई भी संभव नहीं हो पाई, जिसके बाद से यहां प्रकट स्वयंभू शिवलिंग को कालेश्वर महादेव के रूप में पूजा जाता है।कालेश्वर नाम पड़ने के पीछे पुरी बताते हैं कि यहां पहले कभी काले सांपों का डेरा था। शिवलिंग पर भी काले-काले सांप देखे जाते थे, जिसके चलते इसका नाम कालेश्वर पड़ा। बताया कि मंदिर के आसपास ग्रामीण आज भी पूजा-अर्चना के बाद ही खेतीबाड़ी से जुड़ा काम शुरु करते हैं।पंडित अजय शास्त्री ने बताया कि शनि शिव के अधीन नवगृहों में से एक हैं। इस कारण यहां कलयुग में शनि देव की पूजा का प्रचलन बढ़ा है। जीवन में किसी भी तरह का संकट जैसे कालसर्प दोष, शनि की साढ़े साती या ढैय्या आदि में सच्चे मन से भक्त पूजा-अर्चना करते हैं तो शिव और शनि भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं।सोमवार को श्रद्धालु काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन व पूजन करते हैं। वहीं, शनिवार को कालेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चन का विशेष महत्व है। यहां तिल, तेल और वस्त्र दान से शनि की पूजा की जाती है। इसके साथ काली दाल के साथ तुला दान व छाया दान भी किया जाता है।