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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 12 Jan 2022 7:30 pm IST


देवभूमि को 'पूर्वजों का स्वप्न प्रदेश' कहते थे विवेकानंद, ये थी तपस्थली


आज स्वामी विवेकानंद की जयंती है. स्वामी विवेकानंद का उत्तराखंड से नाता बहुत गहरा रहा है. देवभूमि में कई जगह उनकी यादें आज भी ताजा हैं. उत्तराखंड में स्वामी विवेकानंद ने गहन साधना की थी. ऐसा कहा जाता है कि देवभूमि की पहाड़ियों और वादियों में इस संत को आध्यात्मिक शांति और शक्ति मिलती थी. आज हमारा देश स्वामी विवेकानंद की जयंती मना रहा है. युवा उनके बारे में अधिक से अधिक जानना चाहते हैं. विवेकानंद को उत्तराखंड से बहुत लगाव था. 1890 और 1897 में दो बार स्वामी विवेकानंद देहरादून आए थे. स्वामी विवेकानंद से प्रभावित होकर स्वामी करुणानंद ने 1916 में यहां आश्रम स्थापित किया. इसी के तहत रामकृष्ण मिशन धर्मार्थ औषधालय भी चल रहा है. गदाधर प्रकल्प के माध्यम से पहली से सातवीं कक्षा तक के छात्रों को शिक्षा भी दी जाती है. दरअसल 1890 में बदरीनारायण सेवा क्षेत्र में भीषण अकाल पड़ा था. तब स्वामी विवेकानंद श्रीनगर से होते हुए टिहरी पहुंचकर देहरादून पहुंचे थे. यहां अब भी स्वामी विवेकानंद की जयंती पर समारोह होता है. लोग युवाओं को स्वामी विवेकानंद के बताते रास्ते और उनकी शिक्षाओं को जीवन में उतारने की सीख देते हैं.