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• Sun, 4 Jul 2021 8:21 am IST


बड़ी चमत्कारी है उत्तराखण्ड के इस मंदिर में जलने वाली धुनी की राख


उत्तराखंड देवताओं की भूमि है। करोड़ों की आस्था का केंद्र है। यहां माता के सिद्धपीठ भी हैं और शिव के शिवालय भी। चमोली जिले में एक ऐसा तीर्थस्थल हैं, जहां माता का मंदिर और शिव की धुनी एक साथ हैं। इस मंदिर में जलने वाली धुनी (आग) की राख का बड़ा महत्व है। आस्था है कि इसे माथे पर लगाने से छल आदि का भय दूर हो जाता है। इस राख को लेने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां पहुंचते हैं।


चमोली जिले के चोपता गांव में सिद्धपीठ राजराजेश्वरी गिरिजा भवानी का भव्य मंदिर है। इसी मंदिर के बगल में गुरु गोरखनाथ की धुनी है। इसे भगवान शिव का स्थान माना जाता है। माता का मंदिर और शिव की धुनी एक साथ होने के कारण इस तीर्थस्थल की अपनी महत्ता है। इस स्थान को लेकर दो मान्यताएं प्रचलित हैं। पहली यह कि चारधाम की स्थापना के बाद मां दुर्गा वृद्ध माता के रूप में धरती पर आईं। उन्होंने चारधाम की यात्रा शुरू की। जिस स्थान पर माता का मंदिर है, वहां माता अंतरध्यान हो गईं। जबकि उनके साथ आए सेवक का मुछयाला (जलती मशाल) टूट गई। जहां यह मशाल टूटी वहीं पर गुरु गोरखनाथ जी की धुनी है।