जैंती (अल्मोड़ा)। तहसील जैंती के आराखेत गांव में आजादी के 75 बरस बाद भी सड़क नहीं पहुंच सकी। यातायात सुविधा का लाभ उठाने के लिए ग्रामीण 10 किमी पैदल चल कर नजदीकी स्टेशन जैंती पहुंचते हैं। गंभीर मरीजों और प्रसव पीड़िताओं को डोली में सड़क तक लाया जाता है। आराखेत गांव बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहा है। आराखेत के लोगों के लिए सड़क आज भी सपना है। इस गांव के लोगों को यातायात सुविधा का लाभ उठाने के लिए 10 किमी पैदल चल कर नजदीकी स्टेशन जैंती आना पड़ता है। गंभीर मरीजों और प्रसव पीड़िताओं को डोली या फिर खच्चरों में नजदीकी स्टेशन लाया जाता है। कई बार गांव में डोली उठाने के लिए लोग भी नहीं मिलते हैैं। ऐसे में मरीजों की जान सांसत में पड़ जाती है। कई बार गंभीर मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही सड़क में दम तोड़ देते हैं। खास कर बरसात के दिनों में मरीजों और प्रसव पीड़िताओं को डोली में लाने पर अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।