उत्तराखंड में ड्रोन के बढ़ते उपयोग को देखते हुए सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग प्रदेश में ड्रोन परीक्षण एवं प्रमाणिकता केंद्र स्थापित करने की तैयारी कर रहा है। मकसद यह कि ड्रोन के प्रयोग से पहले इसके पंजीकरण के साथ ही सुरक्षा की दृष्टि से भी इसकी सही तरीके से जांच की जा सके। इसके बाद इसे प्रमाणित कर इस्तेमाल की अनुमति दी जाएगी। प्रदेश में बीते कुछ वर्षों से ड्रोन का उपयोग काफी तेजी से बढ़ा है।
बीते वर्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केदारनाथ पुनर्निर्माण के कार्यों की का जायजा भी ड्रोन से की गई लाइव स्ट्रीमिंग के जरिये लिया था। इसके अलावा आपदा राहत कार्यों में भी इसका इस्तेमाल किया जा रहा है। दरअसल, प्रदेश में ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल को देखते हुए तीन वर्ष पहले, यानी 2018 में केंद्र के सहयोग से ड्रोन एप्लीकेशन एवं अनुसंधान केंद्र (डार्क) की स्थापना की गई।
इसका उद्देश्य ड्रोन के लिए स्टेट आफ आर्ट ड्रोन उपयोग एवं अनुसंधान स्थापित करना, ड्रोन संचालकों के लिए उच्च तकनीकी युक्त प्रशिक्षण व्यवस्था एवं वन सर्वे, पुलिस विभाग द्वारा आपदा राहत कार्यक्रमों में उपयोग की क्षमता विकसित करने के लिए तकनीकी सुविधा उपलब्ध कराना है।