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• Mon, 29 Jan 2024 4:56 pm IST


16 साल से 51 साल पुरानी विरासत संभाल रहे लेटी के प्रधान


बागेश्वर। पुरानी पेयजल योजनाओं के कारण अधिकतर गांवों में पेयजल संकट के हालात हैं। लेटी गांव ऐसे गांवों के बीच जागरूकता और जिम्मेदारी की मिसाल के तौर पर सामने आया है। योजना की देखरेख और मरम्मत पर सालाना करीब 29 हजार रुपये ग्राम प्रधान निजी खर्च करते हैं। गांव के 72 परिवार 51 साल पुरानी पेयजल योजना से निशुल्क प्यास बुझा रहे हैं।
लेटी गांव के लिए 1972 में गिरेछीना के समीप गैगाड़ स्रोत से पेयजल योजना का निर्माण किया गया था। आठ किमी लंबी योजना की 2008 में 19 लाख रुपये की लागत से स्वैप योजना के तहत मरम्मत की गई। इसके बाद से योजना की देखरेख और मरम्मत की जिम्मेदारी ग्रामवासी उठा रहे हैं।

टंकी से पाइप लाइन को खोलने-बंद करने और लाइन की चौकीदारी के लिए एक कर्मचारी नियुक्त किया गया है। उसे प्रति माह 2000 रुपये का मानदेय ग्राम प्रधान निजी खर्च से देते हैं। बारिश के दौरान पाइप लाइन टूटने या स्रोत की सफाई के लिए उपकरणों की खरीद और पाइप खरीदने में आने वाला खर्च भी ग्राम प्रधान ही वहन करते हैं। यह राशि सालाना करीब पांच हजार रुपये है। बारिश के दौरान स्रोत में मलबा भरने या पाइप लाइन टूटने पर नवयुवक मंगल दल और अन्य ग्रामीण श्रमदान से मरम्मत और सफाई करते हैं। इस दौरान भी ग्रामीणों को बमुश्किल तीन या चार दिन ही पेयजल संकट का सामना करना पड़ता है।