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• Tue, 20 Jul 2021 4:00 pm IST


डेनमार्क और बांग्लादेश के मत्स्य बीज बदलेंगे तकदीर


पर्वतीय क्षेत्रों में विदेश से आयातित मत्स्य बीजों का प्रयोग सफल हो रहा है। डेनमार्क और बांग्लादेश की मछलियों को उत्तराखंड का पानी रास आ गया है। प्रयोग सफल होने से आने वाले दिनों में जिले में नील क्रांति के नई ऊंचाइयों पर पहुंचने की उम्मीद बढ़ रही है। सीमांत जिले के किसानों को मछली पालन से जोड़ने की मुहिम अब रंग लाती दिख रही है। किसान अभी तक परंपरागत मछलियों का ही पालन कर रहे हैं।

इससे उत्पादन को अपेक्षित गति नहीं मिल रही थी। इसे देखते मत्स्य पालन विभाग ने नए प्रयोग करने का फैसला लिया था। पिछले वर्ष डेनमार्क से रेनबो ट्राउट और बांग्लादेश से पंगास प्रजाति की मछलियों के बीज मंगाए गए। किसानों ने इन बीजों से एक वर्ष में ही अच्छा खासा उत्पादन कर लिया। बीते वर्ष जहां जिले में मत्स्य कारोबार 25 टन के आसपास था, इस वर्ष यह 31 टन तक पहुंच गया। इस वर्ष के अंत तक उत्पादन 40 टन के पार पहुंचने की उम्मीद है। ये दोनों ही प्रजातियां ठंडे पानी की मछलियां हैं। मत्स्य पालन विभाग अब जनपद में ही मत्स्य बीज तैयार कर किसानों को उपलब्ध कराने की तैयारियां कर रहा है।