सितारगंज। जंगल में डेरे बनाकर रहने वाले गुर्जर परिवारों का रहन-सहन आज भी बदहाल है। आम नागरिक के अधिकारों के इतर आज भी वह उपेक्षित जीवन जीने को विवश हैं। गुर्जर परिवार आम नागरिक की तरह तो हैं पर जीने के अधिकार क्या होते हैं यह उन्हें नहीं पता है। मालूम है तो बस इतना ही हर चुनाव में वोट डालना है।
पहले इन्हें ग्रामसभा में वोट डालने का अधिकार था लेकिन अब ग्रामसभा की मतदाता सूची से खत्ते का नाम काट दिया गया है। इससे यह परिवार ग्रामसभा की मतदाता सूची से भी बाहर हो गया है। विधानसभा में जरूर वोट डालने का अधिकार मिला हुआ है। इनके खत्ते में न तो बिजली की सुविधा है, न पानी और न ही सड़क बनी है।