लखनऊ: दुनिया भर में प्लास्टिक के प्रोडक्ट्स की बढ़ती मांग को देखते हुए उत्तर प्रदेश इसे पूरा करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। योगी सरकार ने राज्य में प्लास्टिक प्रॉसेसिंग पार्क को विकसित करने का लक्ष्य रखा है। इनमें एक प्लास्टिक प्रॉसेसिंग पार्क यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण क्षेत्र (यीडा) में निर्मित होना है। इसके लिए यीडा के बोर्ड ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है और अब नियोजन विभाग पार्क की रूपरेखा पर काम कर रहा है। वहां से अप्रूवल के बाद प्रोजेक्ट पर कार्य शुरू होगा और इंडस्ट्रीज को स्थापित करने की कार्यवाही को तेज किया जाएगा।
गौरतलब है कि योगी सरकार की प्रदेश में मेडिकल डिवाइस पार्क, टॉय पार्क, टेक्सटाइल पार्क, लेदर पार्क और
इलेक्ट्रॉनिक पार्क की तर्ज पर ही प्लास्टिक पार्क स्थापित करने की योजना है।
प्लास्टिक पार्क में प्लास्टिक प्रोडक्ट्स की प्रॉसेसिंग, मैन्यफैक्चरिंग
एवं अन्य संबधित तकनीक वाली यूनिट्स लगाई जाएंगी, जो न सिर्फ उत्तर प्रदेश, बल्कि देश और दुनिया की प्लास्टिक की जरूरतों को पूरा
करेगी। इससे बड़े पैमाने पर रोजगार का भी सृजन होगा।
पार्क में सैकड़ों यूनिट्स की होगी स्थापना
प्राप्त जानकारी के अनुसार, यीडा में पार्क 100 एकड़ के क्षेत्र
में फैला होगा। इसमें सैकड़ों प्लास्टिक यूनिट्स स्थापित होंगी। यीडा के एक
अधिकारी के अनुसार, अखिल भारतीय
प्लास्टिक उद्योग संघ ने पहले इस संबंध में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था। यीडा के सेक्टर 10 में प्लास्टिक
प्रॉसेसिंग पार्क विकसित करने के लिए राज्य सरकार सैद्धांतिक रूप से अपनी सहमति दे
चुकी है। यीडा के बोर्ड से भी इस प्रस्ताव को पारित करके नियोजन में भेज दिया गया
है। नियोजन से इसकी रूपरेखा बनने के बाद इस पर विस्तृत कार्यवाही की योजना पर काम
होगा।
अधिकारी के अनुसार, 20 से अधिक
निवेशकों ने यीडा क्षेत्र में स्थापित किए जाने वाले प्लास्टिक प्रॉसेसिंग पार्क में
निवेश करने का प्रस्ताव दिया है। निवेशक यहां चिकित्सा और कृषि उपकरण, पीवीसी पाइप, पैकेजिंग और
प्लास्टिक फर्नीचर बनाना चाहते हैं। प्राधिकरण ने इन निवेशकों से विस्तृत परियोजना
रिपोर्ट मांगी है। जल्द ही,
प्लास्टिक उद्योग
के कई दिग्गज इस पार्क में अपने संयंत्र स्थापित करेंगे। इससे स्थानीय
युवाओं को बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।
यूपी में प्लास्टिक ग्रोथ की है काफी संभावना
प्लास्टिक उद्योग संघ के दीपक बलानी के अनुसार प्लास्टिक
पार्क भारत सरकार की मिनिस्ट्री ऑफ पेट्रोकेमिकल की एक स्कीम का हिस्सा है। इसी के
तहत प्रदेश सरकार पार्क के लिए भूमि उपलब्ध करा रही है। इस भूमि पर यूपी सरकार
कॉमन फैसिलिटी सेंटर समेत इंफ्रास्ट्रक्चर और इंडस्ट्रीज के लिए जरूरी सुविधाएं
देगी, जहां प्लास्टिक
यूनिट्स की स्थापना होगी। उनके अनुसार, भारत सरकार के डाटा के अनुसार 10 हजार से अधिक
प्लास्टिक कंपनियां यूपी में रजिस्टर्ड हैं। भारत में पर कैपिटा प्लास्टिक
कंजंप्शन लगभग 15 किलो है, जबकि पूरी दुनिया
का पर कैपिटा प्लास्टिक कंजंप्शन लगभग 36 किलो है। इस लिहाज से हम उसके 50 प्रतिशत भी नहीं
हैं।
भारत एक कंजंप्शन कंट्री है, इस लिहाज से यहां प्लास्टिक ग्रोथ की काफी
संभावना है। यूपी भी पॉपुलेटेड स्टेट होने के साथ बड़ा कंजंप्शन स्टेट भी है। अभी
यूपी में जितने प्लास्टिक प्रोडक्ट्स बनते हैं, उतने ही बाहर से भी आते हैं। यूपी में प्लास्टिक पार्क बनने
से हम न सिर्फ यहां इसकी खपत की मांग पूरी कर पाएंगे, बल्कि आसपास के
राज्यों और विदेशों में भी एक्सपोर्ट कर सकेंगे। उन्होंने बताया कि कोविड के दौरान
सभी ने प्लास्टिक का योगदान देखा है। हेल्थकेयर, फार्मा, फूड पैकेजिंग, प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट, पीपीई किट समेत कई प्रोडक्ट्स में प्लास्टिक का इस्तेमाल
होता है। एक तरह से प्लास्टिक ने ही लाखों जानें बचाई हैं। इसके अलावा प्लास्टिक
का इस्तेमाल पैकेजिंग, इंफ्रास्ट्रक्चर, बिल्डिंग में लगने
वाले पाइप्स में भी काफी होता है।
औद्योगिक पार्कों से प्रगति की ओर अग्रसर यीडा
अधिकारियों के अनुसार, जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास यीडा क्षेत्र में आने वाले कई समर्पित
औद्योगिक पार्कों के साथ,
क्षेत्र में
उद्योगों की प्रगति में तेजी देखने को मिली थी। राजस्व के मामले में राज्य को लाभ
पहुंचाने के अलावा, इस तरह के पार्क
हजारों स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेंगे। यीडा क्षेत्र में
कुल 1,942 निवेशक 17,272.74 करोड़ रुपये की
लागत से अपनी इकाइयां स्थापित कर रहे हैं, जिससे 2,65,718 लोगों को रोजगार
मिलेगा।
इसके अलावा सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लास्टिक इंजीनियरिंग
एंड टेक्नोलॉजी (सीआईपीईटी) भी इस पार्क में प्लास्टिक पर शोध और प्लास्टिक के
पुनर्चक्रण के लिए 5 एकड़ जमीन पर एक
परीक्षण प्रयोगशाला स्थापित करने को तैयार है। वहीं, गोरखपुर में
प्रस्तावित प्लास्टिक पार्क में 100 से अधिक प्लास्टिक इकाइयां स्थापित होने की संभावना है।