सुप्रीम कोर्ट ने एकमुश्त समाधान योजना को लेकर आदेश दिया है। वरिष्ठ अदालत ने कहा कि, बकायेदार अधिकारों का हवाला देते हुए भुगतान के लिए ज्यादा अतिरिक्त समय देने की मांग नहीं कर सकता है।
कोर्ट ने कहा कि, बकायेदार को अपने पक्ष में कोई अधिकार स्थापित करना होगा। इतना ही नहीं जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस कृष्ण मुरारी की पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के मार्च 2022 के उस फैसले को रद्द कर दिया। बकायेदार कंपनी को ओटीएस के स्वीकृत पत्र के तहत भारतीय स्टेट बैंक को ब्याज समेत शेष राशि का भुगतान करने के लिए छह हफ्ते का ज्यादा समय दिया गया था।
पीठ ने कहा कि, ओटीएस योजना के तहत भुगतान की अवधि को फिर से तय करना और समय को विस्तारित करना ‘अनुबंध को फिर से लिखने’ जैसा होगा जो संविधान के अनुच्छेद-226 में प्रदान शक्तियों का इस्तेमाल करते समय स्वीकृत नहीं है।