रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान और इससे पहले भी दुनिया के कई देश अपने रक्षा खर्च पर अरबों और खरबों रुपये निवेश करते हैं। ये भी सही है कि विश्व के मौजूदा हालातों ने दुनिया के कई देशों की चिंता को बढ़ाया है जिसके बाद आने वाले वर्षों में रक्षा पर होने वाला खर्च बढ़ने की पूरी संभावना है। मौजूदा समय में भी दुनियाभर का रक्षा बजट 21.13 खरब डालर तक हो गया है।
स्टाकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) के मुताबिक पिछले वर्ष रक्षा बजट के सभी रिकार्ड टूट गए हैं। सिप्री के आंकड़ों के मुताबिक पिछले वर्ष दुनिया के रक्षा बजट 0.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी और यह 21.13 खरब डालर हो गया है। सिप्री के आंकड़ों के आधार पर ये कहा जा सकता है कि कोरोना महामारी के दौरान रक्षा खर्च में जबरदस्त बढ़ोतरी देखने को मिली है। हालांकि कुछ देशों में इस दौरान रक्षा बजट पहले के मुकाबले कुछ कम भी हुआ है लेकिन ये .1 प्रतिशत ही है। इसकी वजह महामारी रही है। जहां के रक्षा बजट में कमी आई है वहां पर महामारी की रोकथाम के लिए विकास पर अधिक निवेश किया गया है। इसकी वजह से रक्षा बजट में कुछ कमी आई है। वर्ष 2021 में रक्षा मद में वैश्विक अर्थव्यवस्था का 2.2 फीसदी खर्च हुआ है।
सिप्री के मिलिट्री एक्सपेंडिचर एंड आर्म्स प्रॉडक्शन प्रोग्राम (MEAPP) के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोपेज डा सिल्वा का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान भले ही विश्व की अर्थव्यवस्था गिरी थी लेकिन रक्षा बजट बढ़ा था। इस दौरान सैन्य खर्च 6.1 फीसदी बढ़ा है। भारत की ही बात करें तो भारत ने भी इस मद में काफी खर्च किया। वहीं अमेरिका का खर्च इस मद में कुछ कम हुआ है। अमेरिका ने इस दौरान 800 अरब डालर से अधिक इस पर खर्च किया है जो उसकी कुल जीडीपी का 3.6 प्रतिशत है। हालांकि ये पहले 3.7 प्रतिशत था।