अभिभावक अपने बच्चों के लिए कहीं से भी किताबें खरीद सकते हैं। किसी विशेष दुकान से अभिभावकों को किताबें या कापियां खरीदने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। ऐसा करने वाले स्कूलों की शिकायत मिलने पर पंजीकरण रद्द करने की कार्रवाई कर दी जाएगी।
राज्य में वर्ष 2018 से सभी निजी स्कूलों में एनसीईआरटी का सिलेबस लागू होने से अभिभावकों पर बच्चों के कापी किताबों का आर्थिक बोझ काफी हद तक कम हुआ है। एनसीईआरटी की किताबें कम मूल्य की होने से नर्सरी से लेकर इंटर तक की कक्षाओं के विषयों की किताबों की कीमतों में 50 फीसदी तक कमी आई है। पहले कुछ स्कूल अभिभावकों को किसी विशेष दुकान से ही कॉपी किताबों से लेकर ड्रेस खरीदने के लिए विवश करते थे। ऐसे में अभिभावकों से मनमानी कीमतें वसूली जाती थीं। सरकार की सख्ती के बाद निजी स्कूलों की यह मनमानी समाप्त हो गई है। हालांकि इक्का दुक्का स्कूलों पर इस बार भी निजी प्रकाशन की किताबें लेने का दबाव डालने के आरोप लगे हैं। इसके बाद निजी स्कूलों में नियमों का पालन हो इसके लिए शिक्षा विभाग भी सतर्क है।