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• Tue, 16 Mar 2021 9:00 am IST


कोरोना की मार से लंबा हुआ ग्राम पंचायत प्रतिनिधियों का इंतजार


चंपावत-कोरोना की मार से लटके उप चुनावों ने चंपावत जिले की कई ग्राम पंचायतों के लोगों को प्रतिनिधित्वहीन कर दिया है। कोरोना की वजह से स्थगित हुए उप चुनाव से जिले में ही 11 ग्राम पंचायतों का गठन नहीं हो सका है। पिछले साल इन पंचायतों के खाली पंचायत सदस्य के पदों को नामित करने और प्रधान के स्थान पर प्रशासक की तैनाती कर वैकल्पिक उपाय जरूर किए गए। भले ही कोरोना काल में पिछले साल अक्तूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा के चुनाव और मप्र विधानसभा की 28 सीटों पर उप चुनाव होने के साथ ही पंजाब, गुजरात सहित कई राज्यों में नगर निकायों और पंचायती चुनाव भी निपट गए हों, लेकिन उत्तराखंड में अभी त्रिस्तरीय पंचायती उप चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। प्रदेश के सबसे छोटे जिले चंपावत में ही दो ग्राम प्रधान, एक बीडीसी सदस्य, 11 उप प्रधान और 210 ग्राम पंचायत सदस्यों के पद खाली हैं। अक्तूबर-नवंबर 2019 को हुए चुनाव के बाद पिछले साल फरवरी में उप चुनाव हुए थे। इसके बावजूद ये सीटें खाली रह र्गइं। कोरोना की वजह से पिछले साल मार्च से उप चुनाव पर रोक लगी है। इसके चलते चंपावत जिले की 11 ग्राम पंचायतें अस्तित्व में नहीं आ सकीं हैं। कोरोना से ये ग्राम पंचायतें प्रतिनिधित्वहीन हो गईं हैं।