बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है. इसका उल्लेख शास्त्रों में भी मिलता है, लेकिन बेलपत्र पर नाम या इच्छाएं लिखकर अर्पित करने की परंपरा का शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं मिलता. बेलपत्र पर सिर्फ और सिर्फ प्रभु श्रीराम का नाम लिखकर ही शिवलिंग पर अर्पित किया जा सकता है. इससे इतर अन्य कोई नाम या इच्छा को बेलपत्र पर अंकित कर उसे भगवान शिव को अर्पित करने का कोई भो विधान नहीं है. इससे आप पाप के भागी बन सकते हैं.
1. शास्त्रों का उल्लेख: शास्त्रों में बेलपत्र को शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक माना गया है. इसे शुद्ध रूप में शिवलिंग पर अर्पित करना ही उचित माना गया है. बेलपत्र पर नाम लिखना या उसे किसी अन्य रूप में बदलना शास्त्रों के विपरीत है.
2. प्राकृतिक पवित्रता: बेलपत्र की प्राकृतिक पवित्रता को बनाए रखना आवश्यक है. उस पर नाम लिखने या किसी अन्य प्रकार की छेड़छाड़ करने से उसकी पवित्रता भंग हो सकती है, जो उचित नहीं है.
3. आस्था और विश्वास : भगवान शिव की आराधना में आस्था और विश्वास का प्रमुख स्थान है. सरलता और शुद्धता के साथ अर्पित किया गया बेलपत्र भगवान शिव को प्रिय होता है. अतिरिक्त आडंबर या विशेष प्रयासों की आवश्यकता नहीं होती.