उत्तराखंड में एक ओर जहाँ कोरोना के मामले लगातार बढ़ रहे हैं, तो अभी कोरोना वैक्सीन आम जन को मिली भी नहीं हैं। जिसके चलते लोग लापरवाही पर उतर आए हैं। वही दूनवासियों ने कोरोना वायरस को खुद से दूर रखने के लिए जो सजगता शुरू में दिखा दी थी, लेकिन वह अब गायब होती जा रही है। जी हां, कोरोना संक्रमण के मामले कम होते ही सारी एहतियात तार-तार हो गई और लोग कोरोनाकाल के सबक भूलने लगे हैं। अब न तो चेहरे पर मास्क दिख रहा है और न शारीरिक दूरी के नियम का ही पालन किया जा रहा है। डर इस बात का है कि दूनवासियों की ये लापरवाही कहीं शहर में भी महाराष्ट्र जैसे हालात न पैदा कर दे।
कोरोना से सुरक्षा और बचाव के लिए बनाए गए नियम-कायदे बाजार, सार्वजनिक परिवहन, शादी समारोह, सामूहिक आयोजनों में एक-एक कर टूटते जा रहे हैं। बाजार में न तो दुकानदार मास्क पहने दिख रहे हैं और न ही ग्राहक। सिटी बस, विक्रम आदि में सवारियां खचाखच भरी हैं और अधिकांश सवारियों के चेहरे से मास्क नदारद है। लोग ऐसे व्यवहार कर रहे हैं कि मानो कोरोना खत्म हो गया। उन्हें लगने लगा है कि इस महामारी से बाहर आ गए हैं और अब कुछ नहीं होगा। गौर करने वाली बात है कि यही सोच महाराष्ट्र पर भारी पड़ रही है।