Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 30 Dec 2022 3:29 pm IST


Success Story: बाल विवाह का दंश झेला, घूंघट में रहकर बकरियां चराईं, लेकिन बेटी ने हौसला दिया तो जीत लिया गोल्ड मेडल


राजस्थान की पहली महिला बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह मेघवाल ने सात समंदर पार थाईलैंड में हुई 39वीं अंतर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल जीतकर राजस्थान और देश का नाम रोशन किया है। प्रिया ने थाईलैण्ड के पटाया में आयोजित हुई 39 वीं अन्तर्राष्ट्रीय महिला बॉडी बिल्डिंग प्रतियोगता में जीत दर्ज कर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। इससे पहले प्रिया सिंह साल 2018, 2019, 2020, में मिस राजस्थान का टाइटल भी जीत चुकी हैं लेकिन प्रिया के लिए ये सफर आसान नहीं था। उन्हें यहां तक पहुंचने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
दरअसल, राजस्थान के बीकानेर जिले से ताल्लुक रखने प्रिया सिंह की शादी महज आठ साल की उम्र में हो गई थी। इसके बाद उनकी जिंदगी घर की चाहर दीवारी के अंदर ही सिमट गई थी।
मीडिया से बात करते हुए  प्रिया ने बताया कि 'मैं जिस कल्चर से हूं, वहां साड़ी और सूट की परंपराओं को निभाना पड़ता है। ऐसे में मेरे गेम के कॉस्टयूम को लेकर लोग ताने भी देते थे।' प्रिया बताती हैं कि वो जिस इलाके से आती हैं, वहां पर बहुए घूंघट में आती हैं और घूंघट में ही मर जाती हैं, लेकिन मैंने परंपराओं को निभाने के साथ-साथ लक्ष्य पर निशाना साधा और लगातार इसके लिए प्रयास करती रही। प्रिया सिंह का कहना हैं कि वो सिर्फ पांचवीं तक पढ़ी थीं, तभी उनकी शादी हो गई और आगे की पढ़ाई बंद हो गई। ससुराल में घूंघट डालकर वह भेड़-बकरियां चराती थीं। इसके साथ ही घर पर चूल्हा जलाने के लिए लकड़ियों की व्यवस्था करती थीं। समय बीतने के साथ वह दो बच्चों की मां भी बन गईं।
 
प्रिय बताती  हैं कि उनकी सफलता के पीछे उनकी बेटी का हाथ है। आज वो जिस जगह पर हैं उनकी बेटी की बदौलत हैं। वे कहती हैं बेटी ने उन्हें संभाला है क्योंकि नौ घंटे की ड्यूटी के साथ सब कुछ करना संभव नहीं था। ऐसे में उनके खाने पीने से लेकर कपड़ों तक सब कुछ बेटी ने समझा। बॉडी बिल्डर प्रिया सिंह ने महिलाओं के नाम अपने संदेश में कहा कि वह दूसरों पर निर्भर होने की बजाय अपना भविष्य खुद बनाएं। बेटों के नाम पर तो अक्सर पिता जाने जाते हैं लेकिन बेटियों को भी कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उनके पिता को उन पर गर्व  हो।
 प्रिया सिंह ने बताया कि मुझे किसी के घर में झाडू-पोछा करना पसंद नहीं था, लेकिन घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी, ऐसे में एक जिम में नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया जहां हाइट और पर्सनालिटी को देखते  हुए उन्हें सलेक्ट कर लिया गया। प्रिया मेघवाल की मानें तो पुरुषों के मुकाबले एक महिला के लिए बॉडी बिल्डर बनने के लिए तीन गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और दर्द सहना पड़ता है। महिला को वर्क आउट भी पुरुष के मुकाबले तीन गुना ज्यादा करना पड़ता है और डाइट भी तीन गुना ज्यादा लेनी होती है।

  सरकार से आर्थिक मदद की हैं दरकार 

गोल्ड मेडल जीतकर इंटरनेशनल स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाली प्रिया सिंह को सरकार से आर्थिक मदद की दरकार है। दरअसल,  प्रिया सिंह अपने सपनों को साकार करने के साथ-साथ जिम ट्रेनर की नौकरी भी करती हैं ताकि अपने परिवार का पालन पोषण कर सकें। देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने के बावजूद प्रिया सिंह को अभी तक कोई आर्थिक मदद नहीं मिली है। प्रिया कहती हैं कि सरकार उनकी मदद नहीं करेगी तो भी वह रुकने वाली नहीं हैं। उनका लक्ष्य यूनिवर्स और ओलंपिक में जाने का है।