हरिद्वार श्री निरंजनी अखाड़ा के सचिव श्री महंत रवींद्र पुरी महाराज ने कहा कि संतों का शाही स्नान अपने अखाड़े की शान और शौकत को दर्शाते हुए स्नान करने जाना शाही स्नान कहलाता है 12 साल में होने वाले कुंभ के दौरान जब तक अखाड़ों के क्रम के अनुसार स्नान करने जाते हैं तब मैं अपने अखाड़े में उपलब्ध सिंहासन आभूषण और शानो शौकत के जितने भी संसाधन मौजूद हैं उन सभी का प्रदर्शन भी करते हैं उन्होंने कहा कि स्नान तो हम लोग रोज ही करते हैं लेकिन आध्यात्मिक महत्व के साथ-साथ यह स्नान अखाड़े की भव्यता और आभा को भी दर्शाता है इसलिए इसे शाही स्नान कहते हैं उन्होंने बताया कि 11 मार्च को शिवरात्रि के दिन होने वाले पहले शाही स्नान के लिए श्री निरंजनी अखाड़ा ने पूरी तैयारी कर ली है अपने कर्म के हिसाब से पूरी भव्यता के साथ स्नान करने संत जाएंगे। देखें हरिद्वार से राजेश शर्मा की यह खास रिपोर्ट