देहरादून : प्रदेश में हाईस्कूल व इंटर की कक्षाओं को आफलाइन मोड में शुरू करने के शासन के निर्णय को अभिभावक संगठनों ने जल्दबाजी में उठाया गया कदम और निजी स्कूलों के दबाव का नतीजा बताया है। उनका कहना है कि एक ओर प्रदेश में हर दिन दो हजार से ज्यादा कोरोना के मामले सामने आ रहे हैं वहीं दूसरी ओर शासकीय और अशासकीय स्कूलों के अधिकांश शिक्षक चुनाव ड्यूटी पर लगाए गए हैं, ऐसे में विद्यार्थियों का पठन-पाठन कैसे होगा।
नेशनल एसोसिएशन फार पैरेंट्स एंड स्टूडेंट्स राइट्स के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष योगेश राघव, महासचिव सुदेश उनियाल आदि ने कहा कि आज भी दो हजार से अधिक मामले प्रतिदिन सामने आ रहे हैं। ऐसे में कैसे दावा किया जाए कि जो विद्यार्थी स्कूल जाएंगे वह कोरोना संक्रमण की चपेट में नहीं आएंगे। सरकार को चाहिए था कि वह 14 फरवरी मतदान के बाद विद्यालयों को खोलने का निर्णय लेती। अभिभावक एकता समिति के सदस्य आनंद रावत, विरेंद्र कुमार ठाकुर, जयकृष्ण आदि ने कहा कि पहाड़ी क्षेत्रों के विद्यालयों में जहां शिक्षकों की संख्या पहले ही कम है वहां ज्यादातर शिक्षक चुनाव ड्यूटी में रहेंगे। उधर, माध्यमिक शिक्षा निदेशक सीमा जौनसारी ने कहा कि शासन की ओर से 10वीं से 12वीं तक की तीन कक्षाएं आफलाइन मोड़ में चलाने के आदेश प्राप्त हुए हैं। इस आदेश को समस्त जिला मुख्य शिक्षा अधिकारी को प्रेषित किया जाएगा।