कार्तिक मास सेहत के लिए बहुत ही खास माना गया है। इस माह में शरद ऋतु शुरू होती है। दो बदलते मौसम के बीच का समय होने से इन दिनों सेहत संबंधी परेशानी भी होने लगती है। इसलिए कार्तिक मास में पूरा डेली रूटीन बदलने की बात ग्रंथों में कही गई है। इनमें खाने-पीने और सोने से जुड़े जरूरी नियम कहे गए है। जिनको अपनाने से सेहत अच्छी रहती है और उम्र भी बढ़ती है।
कार्तिक में प्रकट हुए थे औषधियों के देवता धन्वंतरि
अश्विन महीने की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा पर देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमारों और अमृत देने वाले चंद्रमा की पूजा होती है। ताकि कार्तिक महीने में सेहत संबंधी परेशानी न हो। इसके 12 दिन बाद औषधियों के जनक यानी धन्वंतरि की पूजा का दिन होता है। धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि अमृत का कलश और औषधियां लेकर प्रकट हुए थे। इनकी पूजा से आरोग्य और लंबी उम्र मिलती है।
आयुर्वेद के नजरिये से कार्तिक मास
वैद्याचार्यों का कहना है कि कार्तिक महीने में सूर्योदय से पहले उठकर खाली पेट पानी के साथ तुलसी के कुछ पत्ते निगल लिए जाएं तो पूरे साल बीमारियों से बच सकते हैं। इन दिनों पित्त बहुत बढ़ता है। इसलिए कार्तिक महीने के दौरान बैंगन, मठ्ठा, करेला, फलियां और दालें नहीं खानी चाहिए। इनके अलावा जमीकंद यानी मूली, गाजर, गराडू, शकरकंद और अन्य तरह के कंद मूल खाना सेहत के लिए अच्छा रहता है।
सेहत से जुड़ा धार्मिक महत्व
धर्माचार्यों का कहना है कि कार्तिक महीने में भगवान विष्णु और सूर्य की पूजा करने से बीमारियां दूर रहती हैं। उम्र भी बढ़ती है। इस पवित्र महीने में सूर्योदय से पहले उठकर तीर्थ या पवित्र नदियों के पानी में नहाना चाहिए। ऐसा न कर पाएं तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से तीर्थ स्नान का पुण्य मिल जाता है। इस तरह नहाने से बीमारियां तो दूर होती हैं, जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप भी खत्म हो जाते हैं।