हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी प्रतीकात्मक रूप से उत्साहपूर्वक मनाई गयी। इस अवसर पर श्रीकृष्ण की भव्य झांकी सजाई गयी थी। श्रद्धालुओं ने विधि विधान से पूजा अर्चना की। सम्पूर्ण कार्यक्रम आनलाइन सम्पन्न किये गये।
इस अवसर पर अपने वीडियो संदेश में अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या कहा कि असंभव कार्य को संभव करने हेतु अवतारी सत्ताएँ समय-समय पर आती रही हंै। भगवान श्रीकृष्ण का अवतार असंभव सा दिखने वाला कार्य को संभव करने के लिए था। श्रीकृष्ण ने अपने जन्म के साथ ही लीलाएँ प्रारंभ कर दिया था और उनके सहयोगी के रूप में कुछ लोग ही शामिल रहे। लीलापुरुष श्रीकृष्ण का प्रत्येक कार्य किसी न किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए होता था। गीता मर्मज्ञ डॉ. पण्ड्या श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर आखिरी समय तक का मार्मिक ढंग से उद्धृत किया। उन्होंने विभिन्न उदाहरणों के माध्यम से जनमानस को राक्षसी प्रवृत्ति से दूर रहने के विविध उपायों को जानकारी दी। कहा कि दुष्प्रवृत्तियाँ मानव जीवन को खोखला एवं नष्ट कर देती है। देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. पण्ड्या ने आज की समस्याओं की ओर इंगित करने प्रकृति के अनुरूप जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
इस अवसर पर श्याम बिहारी दुबे ने श्रीकृष्ण लीला का वर्णन किया। तो वहीं संगीत विभाग के भाइयों ने भावपूर्ण संगीत प्रस्तुत किये।