गोरंगघाटी क्षेत्र के धूरा गांव में आाजादी के सात दशक बाद भी ग्रामीणों की प्यास बुझाने को एक पेयजल योजना नहीं बनी। ग्रामीण दूर प्राकृतिक स्रोतों से पानी ढोकर अपनी प्यास बुझाते हैं। अब गर्मी अधिक होने से स्रोत का जलस्तर भी कम हो गया है। इससे गांव में पानी का संकट खड़ा हो गया है।
शुक्रवार को धुरा के ग्रामीण कलक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी कर प्रदर्शन किया। ग्रामीणों ने कहा गांव में पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां तक कोई प्राकृतिक स्रोत भी नहीं है। दूसरे अन्य गांवों से वे पानी ढोकर घर तक पहुंचाते हैं, तब कहीं उन्हें पीने को पानी नसीब होता है। लंबे समय से वे प्रशासन से गांव में पेयजल योजना निर्माण की मांग कर रहे हैं, लेकिन उनकी सुध कोई नहीं ले रहा। जबकि बीते सालों में आंवलाघाट योजना का निर्माण हुआ है और वहां का पानी शहर के लोगों तक पहुंचा रहा है। लेकिन हैरानी की बात है कि जिस क्षेत्र में योजना का निर्माण हुआ है उससे लगे क्षेत्र पानी के संकट से जूझ रहे हैं।