संसदीय व्यवधान पर दुख जताते हुए उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने युवाओं से ‘लोकतंत्र के मंदिर’ में ऐसे आचरण के खिलाफ माहौल और जनमत तैयार करने को लिए जन आंदोलन चलाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा, संसद में हम यह सुनिश्चित करते हैं कि देश का भविष्य सही रास्ते पर हो। इसके लिए हमें अपने आचरण से ऐसी मिसाल कायम करनी होगी जिसे सभी अपने व्यवहार में उतारें।
दरअसल, धनखड़ मशहूर शिक्षाविद, समाजसेवी और उद्योगपति डॉ. एमएस रमैया के जन्मशती समारोह को संबोधित कर रहे थे। जहां उन्होंने अपने संबोधन में सबसे पहले कहा कि, उनकी अपील गैर दलीय है और उसका राजनीति में संबंधित पक्षों से नहीं, बल्कि राष्ट्र के कल्याण से संबंध है। डॉ. आंबेडकर की हमारे संविधान का मसौदा तैयार करने में अहम भूमिका थी। संविधान सभा में तीन सालों तक उस पर बहस हुई, चर्चा-परिचर्चा एवं संवाद हुआ। उनके सामने एक मुश्किल भरा काम था, कई विवादास्पद मुद्दे थे, भिन्न-भिन्न राय थी, साझी राय पर पहुंचना मुश्किल था।
इन सब बातों के बावजूद संविधान सभा में एक भी व्यवधान नहीं हुआ। कोई आसन के सामने नहीं आया, किसी ने नारेबाजी नहीं की, किसी ने तख्तियां नहीं दिखाईं। उपराष्ट्रपति ने कहा, जिन्होंने हमें संविधान दिया, उनकी ओर से देशहित में जब इतना बड़ा काम किया जा सकता तो फिर, इस बात में क्या कठिनाई है कि हम उन जैसा आचरण नहीं कर पाते हैं। हमें ऐसा करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने चेताया कि, राज्यसभा के सभापति के तौर पर वह जो कुछ देखते हैं, वह सभी के लिए चिंता का विषय है क्योंकि राज्यसभा के सत्र के हर मिनट पर करोड़ों रुपये का सरकारी पैसा खर्च होता है।