दुनियाभर में हर एक देश तेजी से बदल रहा है। दैनिक जीवन या दिनचर्या में बदलाव होने के साथ-साथ अमेरिका से अफ्रीका और एशिया से यूरोप तक लोगों में तनाव, गुस्सा और चिंता का स्तर बढ़ा है।
मौजूदा समय में लोग दिखाते की तरफ आकर्षित होकर पहले से ज्यादा उदास और दुखी हैं। लेकिन इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। भारत में भी महिलाएं अन्य देशों की महिलाओं की तुलना में ज्यादा तनाव ले रही हैं। डेलॉयट इंडिया की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि, 53 फीसदी कामकाजी भारतीय महिलाओं ने वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में अधिक तनाव झेला है। यह अन्य देशों की महिलाओं की तुलना में भी सर्वाधिक है।
वीमेन एट वर्क ए ग्लोबल आउटलुक रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में 51 फीसदी महिलाओं ने इस अवधि में तनाव का सामना किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, नौकरी करने वाली 31 फीसदी भारतीय महिलाओं ने बताया कि वे तनाव में थीं। तनाव में रहने वाली महिलाओं का वैश्विक औसत 28 फीसदी है। हालांकि, यह वित्त वर्ष 2022 के 46 फीसदी की तुलना में काफी कम है।
यह रिपोर्ट दस देशों में 5,000 महिलाओं के सर्वे पर आधारित थीं। इसमें भारत में 500 महिलाएं विभिन्न आयु समूहों, रोजगार की स्थिति, क्षेत्रों और वरिष्ठता की थीं। वैश्विक रुझानों के अनुरूप, भारतीय महिलाओं को वित्त वर्ष 2022 की तुलना में वित्त वर्ष 2023 में कम गैर-समावेशी व्यवहार का सामना करना पड़ा।