आपकी त्वचा की रंगत मेलेनिन के स्तर से तय की जाती है. लेकिन गोरा करने के लिए जो क्रीम लगा रही हैं उससे स्किन के मेलेनिन को प्रभावित करती हैं और आपको हल्का रंग देती है, फेयरनेस क्रीम आपके शरीर के मेलेनिन को कम करती है और आप गोरे दिखने लगते हैं.आपको बता दें कि इन क्रीमों में मुख्य तौर पर दो तरह के ब्लीचिंग एजेंट पाए जाते हैं- हाइड्रोक्विनोन (hydroquinone) और कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स (corticosteroids).जबकि त्वचा विशेषज्ञों के मुताबिक हमेशा क्रीम में हाइड्रोक्विनोन (hydroquinone) की मात्रा 4% से कम होनी चाहिए. हालांकि रंग को निखारने वाली किसी भी क्रीम को लंबे वक्त तक यूज नहीं करना चाहिए.ऐसे में आपको बता दें कि त्वचा का रंग प्राकृतिक होता है और इसे बदलना या हल्का करने का ख्याल अनुचित है. तो लेडीज, बाजार के लुभावने विज्ञापनों और ब्यूटी के स्टीरियोटाइप की शिकार न बनें, ज्यादा क्रीम के यूज से आप वक्त के पहले बूढ़ी हो सकती हैं. स्किन वक्त के पहले ढलने लगेगी. बाजार में उपलब्ध इन क्रीमों का उपयोग करने से आप प्राकृतिक त्वचा को नुकसान पहुंचा सकती हैं. इसलिए स्वस्थ आहार, व्यायाम और घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल कर अपनी नेचुरल स्किन को पैंपर करें.