असम में बाल विवाह के खिलाफ सरकार ने तेज-तर्रार अभियान चलाया। जिसमें अभियान के तहत बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ्तारियां भी हुईं।
इसी बीच, सवाल उठने लगा कि राज्य सरकार ने बालविवाह के आरोपों में मुसलमानों को परेशान करना शुरू किया है। ज्यादातर गिरफ्तारियां मुसलमानों की हो रहीं हैं। इसपर अब असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने जवाब देते हुए कहा कि, राज्य में बाल विवाह के खिलाफ राज्य सरकार के चल रहे अभियान के दौरान धर्म को नजरअंदाज करते हुए कार्रवाई की जा रही है।
सरमा ने आंकड़ों के साथ बताया कि, तीन फरवरी की कार्रवाई तक मुसलमानों और हिंदुओं की गिरफ्तारी का अनुपात लगभग बराबर ही है। 'मैंने अपने कुछ लोगों को भी उठाया है क्योंकि विपक्षी सदस्यों को बुरा लगेगा। तीन फरवरी की कार्रवाई के बाद से मुसलमानों और हिंदुओं की गिरफ्तारी का अनुपात 55:45 है।' जवाब देते हुए सरमा ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि, ये लोग अपराधियों के लिए रोते हैं, लेकिन 11 साल की बच्ची के लिए नहीं जो कम उम्र में ही मां बन जाती है।
सीएम सरमा ने आगे कहा कि, 'राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों से पता चलता है कि बाल विवाह के अधिकतर मामले मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र धुबरी और दक्षिण सलमारा से सामने आए हैं न कि डिब्रूगढ़ और तिनसुकिया से, लेकिन क्योंकि आप सांप्रदायिकता को लेकर टिप्पणी न करें, इसलिए मैंने डिब्रूगढ़ एसपी को फोन करके कहा कि वहां भी ऐसे मामले मिले तो कार्रवाई की जाए।'