कलियुग के इस दौर में जहां लोग अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम छोड़ आते हैं और अपने साथ रखने में बोझ समझते हैं। वहीं इस बात पर शायद ही विश्वास होगा, कि कोई बेटा अपनी मां को कंधे पर बैठा कर चार धाम की पैदल यात्रा कराने निकला है। यह सच है जो बदायूं के दो सगे भाइयों ने कर दिखाया।
बदायूं निवासी धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी को चार धाम की यात्रा करने के लिए पालकी में बैठाकर पैदल यात्रा कर रहे हैं। जब भी सनातन धर्म में श्रवण कुमार का जिक्र आता है, वह आज भी लोगों को अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रेरित करते हैं। हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनकी संतान श्रवण कुमार जैसी हो।