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• Thu, 18 Mar 2021 8:54 am IST


जानें आखिर क्या है उत्तराखंड में तुंगनाथ मंदिर का रहस्य और मान्यता


तुंगनाथ मंदिर 3680 मीटर की ऊंचाई पर चन्द्रनाथ पर्वत पर स्थित है। यंह उखीमठ से 30 किलोमीटर दूर उखिमठ-गोपेश्वर रोड पर पड़ता है जो की एक घने जंगल से होते हुए गुजरता है।शिव के इस मन्दिर में जहां गुंबद सोलह दरवाजे तक फैला हुआ है, आदि गुरु शंकराचार्य की 2.5 फीट लम्बी मूर्ति लिंगम की और स्थित है। नंददेवी मंदिर भी तंगनाथ में स्थित है, जो कि आश्चर्यजनक आकाशगंगा जल गिरने जैसा है , क्योंकि यह पानी ऐसे दीखता है जैसे स्वर्ग से उतर रहा है।शानदार चौखंबा, केदारनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री चोटियों से यंहा की चमक और बढ़ जाती है।


एक कहानी यह बताती है कि ऋषि व्यास ने पांडवों को बताया कि वे अपने स्वयं के रिश्तेदारों की हत्या के दोषी थे और वे तभी पापमुक्त होंगे जब भगवान शिव न उनको माफ़ करेंगे । तो पांडवों ने शिव की तलाश शुरू कर दी। भगवान शिव ने उन्हें टाल दिया क्योंकि उन्हें पता था कि पांडव दोषी थे। इसलिए भगवान ने भूमिगत और बाद में शरण ले लिया, उसके शरीर के अंग पांच अलग-अलग जगहों पर उठे।


ये पांच जगह हैं, जहां भगवान शिव के पांच भव्य मंदिरों को “पंच केदार” कहा जाता है। प्रत्येक व्यक्ति को अपने शरीर के एक भाग के साथ पहचाना जाता है तुगनाथ जहां उनके हाथ अनुमान लगाए गए थे। केदारनाथ, उनकी कूबड़; रुद्रनाथ, उसका सिर; कल्पेश्वर, उसके बाल; और मैडमहेश्वर, उनकी नाभि मानी जाती है।
अत्यधिक सर्दियों के समय यंहा से पुजारी 19 किमी दूर मक्नाथ जगह पर चले जाते है।