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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 18 Oct 2022 8:00 am IST


क्यों मनाई जाती है काली चौदस? जानिए तिथि, मुहूर्त और काली पूजा का महत्व


प्रत्येक वर्ष कार्तिक मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को काली चौदस पर्व मनाया जाता है। यह दिन मां काली को समर्पित होता है। काली चौदस के दिन विशेष रूप से माता काली की पूजा-अर्चना की जाती है। काली चौदस को रूप चौदस या नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। बंगाल में काली चौदस के दिन को माता काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन घर के कई हिस्सों में यम के लिए दीपक जलाते हैं। इस दिन यमराज के लिए दीपदान करते हैं। इस दिन सभी नकारात्मक और ऊर्जाओं को जला दिया जाता है क्योंकि यह बुरी ऊर्जाओं से छुटकारा पाने के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। इस दिन तिल का उपयोग कर अभ्यंग स्नान करने का भी सुझाव दिया गया है। आइए जानते हैं काली चौदस की तिथि, मुहूर्त और महत्व के बारे में।

काली चौदस तिथि 
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि आरंभ: 23 अक्टूबर, रविवार, सायं 06:03 मिनट पर।  
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि समाप्त: 24 अक्टूबर, सोमवार, सायं 05:27 मिनट पर।  
काली चौदस पर मां काली की रात ही में पूजा करने का विधान है, इसलिए देवी की उपासना 23 अक्टूबर को मध्यरात्रि में ही मान्य है। वहीं नरक चतुर्दशी उदयातिथि के अनुसार 24 अक्टूबर को मनाई जाएगी। 

काली चौदस मुहूर्त 
23 अक्टूबर, रविवार रात्रि 11:46 से 24 अक्टूबर से सोमवार तड़के 12:37 तक।   
कुल पूजा की अवधि: 51 मिनट तक। 

काली चौदस का महत्व 
काली चौदस के दिन रात्रि में मां काली की उपासना करने से साधक को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। इसके साथ ही शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मान्यता है कि काली चौदस पर काली पूजा करने से शत्रु पर विजय प्राप्ति का वरदान मिलता है। जो साधक तंत्र साधना करते हैं वे काली चौदस के दिन महाकाली की साधना को अधिक प्रभावशाली मानते हैं।

पूजन सामग्री 
काली चौदस की पूजा में अगरबत्ती, धूप, फूल, काली उरद दाल, गंगा जल, हल्दी, हवन सामग्री, कलश, कपूर, कुमकुम, नारियल, देसी घी, चावल, सुपारी, शंख, पूर्णपात्र, निरंजन, लकड़ी जलाने के लिए माचिस, गुड़, लाल, पीले रंग रंगोली के लिए, रुई आदि सामग्री का इस्तेमाल किया जाता है।  

काली चौदस की पूजा विधि
काली चौदस पूजा करने से पहले अभ्यंग स्नान करना होता है। ऐसी मान्यता है कि अभ्यंग स्नान करने से व्यक्ति नरक में जाने से बच जाता है। अभ्यंग स्नान के बाद अपने शरीर पर परफ्यूम लगाकर पूजा पर बैठना चाहिए। काली चौदस पूजा में मां काली की मूर्ति की स्थापना एक चौकी पर करें। जब आप चौकी पर मां काली को स्थापित कर लें उसके बाद दीप जलाएं। इसके बाद हल्दी, कुमकुम, कपूर, नारियल मां काली पर चढ़ाएं।