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• Mon, 15 Jul 2024 4:04 pm IST


बेरोज़गारी कैसे होगी दूर! शहीदों के आश्रितों को नौकरी देने को पद ही नहीं, इस जिले का हाल बुरा


देश की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त होने वाले सैनिकों के एक आश्रित को नौकरी देने का सरकार ने वादा तो किया है, लेकिन राज्य के कई जिलों में शहीद आश्रितों के लिए सृजित किए गए पद ही नहीं बचे हैं। देहरादून, चमोली, नैनीताल, टिहरी, यूएसनगर समेत छह जिलों में पद न होने की वजह से शहीद आश्रितों के आवेदन लटके हुए हैं।आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान ने शहीद आश्रितों को नौकरी की सुविधा की पड़ताल की तो यह तस्वीर सामने आई। नौ शहीद आश्रितों के आवेदन लंबे समय से सैनिक कल्याण विभाग के पास हैं, लेकिन आश्रितों को राहत नहीं मिल पा रही। देश पर बलिदान होने वाले सैनिकों के आश्रितों को आर्थिक सहारा देने के लिए सरकार ने परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की व्यवस्था की।दिसंबर 2018 में इसके लिए नियमावली जारी करने के साथ ही हर जिले में कलक्ट्रेट में समूह ग और घ के दो-दो पद सृजित कर दिए गए हैं। वर्ष 2018 से अब तक राज्य के 55 सपूत अपने प्राणों का बलिदान दे चुके हैं। जबकि नौकरियां अब तक केवल 27 आश्रितों को ही मिल पाई है।इनमें 20 को समूह ग और सात को समूह घ की चतुर्थ श्रेणी की नौकरी मिली है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ज्यादातर जिलों में समूह ग के पद भर चुके हैं और समूह घ के पदों के लिए ज्यादातर आश्रित इच्छुक नहीं है। संपर्क करने पर निदेशक-सैनिक कल्याण ब्रिगेडियर अमृतलाल (सेनि) ने कहा कि इन सभी मामलों पर शासन से दिशानिर्देश लिए जा रहे हैं।