पाकिस्तान न जियेंगे और न जीने देंगे की कसम खा चुका है। इसको लेकर वो नए-नए पैतरे अपनाता रहता है। दरअसल, आईएसआई सर्दी शुरू होने से पहले आतंकियों को जम्मू संभाग में घुसपैठ करवाकर बड़े हमले कराना चाहती है।
वहीं भारत में घुसपैठ के लिए उड़ी, केरन, गुरेज, चकोटी, तंगधार, राजोरी और पुंछ के अलग अलग इलाकों में ट्रेनिंग कैंप और लांच पैड बनाए गए हैं। यहां तक कि, भारतीय इलाकों के पुंछ: पोती छपरा, कतिया, फगवार, देव रंडी, शेर, मंडोल, बटल, ट्रिनोट, शेआरा, रकार, बटा हलन, हेलन टाप घोंटा, सपाल टाप, रीड कटर, नेजा पीर, खोडी नूरकोट गांवों के अलावा मेंढर के नकयाल, डेरा शेर खान, मंजाकोट के बिंबरनाका, चतराली, नौशेरा के सेरी, मरूठा, सुंदरबनी के नगुन शेर, गुल्डी में आतंकियों के कैंप बनाए गए हैं।
कैंप में आतंकियों की ट्रेनिंग के अलावा पिछले 2 महीने से एलओसी पार से घुसपैठ की कोशिशें भी बढ़ीं हैं। 5 अगस्त को ही राजोरी के दरहाल में घुसपैठ कर पहुंचे आतंकियों ने सेना के कैंप पर हमला किया। उड़ी जैसा हमला करने का प्रयास था, जिसे विफल कर दिया गया। दो आतंकियों को मारा गिराया गया।
इससे बाद 21 अगस्त को नौशेरा सेक्टर में फिदायीन हमला करने आए आतंकी को सेना ने पकड़ा था। आतंकी तबारक ने बताया कि उसे पाकिस्तानी सेना ने फिदायीन हमला करने के लिए भेजा था। उसे पास के ही एक गांव में प्रशिक्षण दिया गया था। हालांकि बाद में आतंकी की मौत हो गई।
इसके दो दिन बाद ही 23 अगस्त को नौशेरा सेक्टर में घुसपैठ का प्रयास किया गया, लेकिन आतंकी सेना द्वारा लगाए लैंडमाइन में फंस गए और इसमें तीन आतंकी मारे गए। फिर 24 अगस्त को कश्मीर के उड़ी सेक्टर में घुसपैठ कर रहे 3 आतंकियों को सेना ने ढेर कर दिया था।
और अब इसी महीने 6 सितंबर को जम्मू के अरनिया सेक्टर में आतंकियों ने घुसपैठ का प्रयास किया, लेकिन बीएसएफ के सतर्क जवानों की जवाबी कार्रवाई में इन आतंकियों को भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।