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DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 6 Sep 2021 10:52 am IST

जन-समस्या

कोरोना काल में वीरान पड़े घर में जलाई शिक्षा की अलख


कोरोना काल के दौरान स्कूल बंद होने पर प्राथमिक विद्यालय पाली की सहायक अध्यापिका श्वेता रावत ने कर्णप्रयाग विकासखंड के कपीरी क्षेत्र में कंडारा गांव स्थित वीरान हो चले पैतृक आवास में शिक्षा की अलख जगाई। यहीं नहीं, उन्होंने बच्चों के साथ मिलकर विज्ञान क्रिएटिव बुक भी बनाई। देहरादून निवासी श्वेता रावत प्राथमिक विद्यालय पाली में सहायक अध्यापक के पद पर तैनात हैं। प्राथमिक विद्यालय कोरोना के चलते मार्च से बंद था, लेकिन शिक्षक कोविड ड्यूटी कर रहे थे। मई के अंतिम सप्ताह में 10 वर्ष से कम का बालक होने के चलते श्वेता को ड्यूटी से रिलीव कर दिया गया। अब उनके पास घर जाने का विकल्प था। लेकिन, श्वेता अपने मायके कपीरी क्षेत्र में कंडारा गांव चली गई। हालांकि उनके मायके वाले गांव के बजाय गोपेश्वर में रहते हैं। इस बीच श्वेता ने गांव के वीरान हो चले पुश्तैनी मकान में गांव के बच्चों को कोविड नियमों का पालन करते हुए पढ़ाना शुरू किया। देखते ही देखते वहां 15 से अधिक बच्चे आने लगे। बच्चों के साथ श्वेता को इतना लगाव हो गया कि वह लाकडाउन में जनवरी तक गांव में ही रहकर बच्चों को पढ़ाने लगी। इस दौरान श्वेता ने बच्चों के साथ मिलकर 30 पेज की विज्ञान की क्रिएटिव लर्निग बुक भी बनाई, जिसमें चित्रों के माध्यम से विज्ञान से बच्चों का ज्ञान बढ़ाने का प्रयास किया गया। श्वेता बताती हैं, विद्यालय खुलने के बाद वह अपने विद्यालय में लौट आई हैं, लेकिन आज भी अवकाश के दौरान वह कंडारा गांव में जाकर बच्चों से मिलती हैं और उनके पठन-पाठन को लेकर चर्चा करती हैं। बताया कि उन्होंने जिला स्तर पर भी इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बच्चों को पढ़ाने के लिए वीडियो सहित अन्य सामग्री बनाकर शिक्षकों के बीच बांटी है। श्वेता का कहना है कि इस दौरान उनके माता-पिता भी अपने गांव लौटकर रहने लगे थे।