देहरादून। कांग्रेस के विधानसभा प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया अब आलाकमान के पाले में हैं। उत्तराखंड की एक सशक्त लॉबी इस बात की पैरवी कर रही है कि एक परिवार से एक टिकट का फार्मूला ही अमल में लाया जाए। इस फार्मूले के लागू होने का मतलब है कि हरीश रावत का अपनी बेटी अनुपमा को टिकट दिलाने का सपना टूट जाएगा। हरीश बेटी के अलावा बेटे आनंद को भी किच्छा से टिकट दिलवाना चाहते हैं। वहीं खुद चुनाव से दूरी बनाकर पार्टी को लड़वाने के पक्ष में हैं। वहीं हरदा विरोधी खेमा चाहता है कि हरीश चुनाव में उतर कर खुद को साबित करें।
एक परिवार से एक को टिकट देने का फार्मूला नया नहीं है। इसको लेकर भाजपा बेहद गंभीरता से काम करती रही है। वहीं कांग्रेस में भी इसको लेकर आवाज उठती रही है। इस बार उत्तराखंड में कांग्रेस के आलाकमान पर इस फार्मूला के इस्तेमाल करने का दबाव एक खेमा बना रहा है। इसकी वजह है कि हरीश रावत अपने परिवार को लिए टिकट न जुटा सकें। वहीं हरीश अपने बचाव में अपनी बेटी अनुपमा को हरिद्वार से टिकट दिलवा कर खुद चुनाव में उतरने से बचते दिख रहे हैं। लेकिन यह खेमा चाहता है कि चुनाव संचालन समिति के अध्यक्ष हरीश को खुद चुनाव लड़कर पार्टी को लीड करना चाहिए। इसी माथापच्ची में कांग्रेस की कई विधानसभा क्षेत्रों से टिकटें फंसी हुई है।
यशपाल आर्य पर लागू नहीं होगा फार्मूला
यशपाल आर्य के बेटे संजीव आर्य को भी कांग्रेस नैनीताल से टिकट देगी, चूंकि संजीव चुने हुए विधायक है इसलिए इस फार्मूले के परिधि में फिट नहीं बैठते।