‘सामारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण, चीन व नेपाल सीमा से सटा हुआ उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आने के 23 साल बाद भी विकास की दशा और दिशा में अपेक्षा के अनुसार रफ्तार नहीं पकड़ पाया है। राज्य के पर्वतीय जिले उपेक्षित हैं और मैदानी क्षेत्रों में ही अधिकतम विकास हुए हैं।’ उत्तराखंड के समग्र विकास को लेकर वैज्ञानिक डॉ.जेएस रावत अपने शोध पत्र में यह दावा किया है।
डा.जेएस रावत का शोध पत्र इंटरनेशनल जर्नल ऑफ साइंस एंड रिसर्च (आईजेएसआर) में प्रकाशित हुआ है। उन्होंने ‘विजन एंड एक्शन प्रोग्राम फॉर ऑल राउंड सोशियो इकोनॉमिक डेवलेपमेंट ऑफ हिली एंड माउंटेन स्टेट उत्तराखंड’ विषय पर राज्य के विकास की अवधारणा को लेकर कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
शोध कहता है कि 1947 से 2000 तक 53 साल तक राज्य सामाजिक व आर्थिक दृष्टि से अत्यंत पिछड़ा रहा। बड़े संघर्षों से हासिल राज्य में अब पहाड़ बनाम मैदान के विकास का द्वंद्व चल रहा है। यही वजह है कि अब तक राज्य की स्थायी राजधानी तक तय नहीं हुई।