‘उगाह हे सूरज देव भेल भिनसरवा...’, ‘जोड़े जोड़ सुपवा तोरा चढ़इबो...’, ‘जोड़े जोड़े फलवा सूरज देव..।’ छठ मइया के ये भजन बृहस्पतिवार सुबह हल्की ठंड और हल्की धुंध के बीच नदियों किनारे छठ घाटों पर गूंज रहे थे। रंग बिरंगे परिधान पहन हाथों में पूजा सामग्री लिए व्रती महिलाओं के चेहरों पर अलग ही खुशी थी। नजारा था छठ घाटों पर उगते सूर्य को अर्घ्य देने का। इस दौरान व्रती महिलाओं और परिवार के सदस्यों का उत्साह देखते ही बन रहा था।
चार दिवसीय सूर्य उपासना और आस्था का महापर्व छठ बृहस्पतिवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देकर संपन्न हो गया। इससे पहले आधी रात से ही छठ घाट पर व्रती महिलाएं और उनके परिवार के लोग गाजे-बाजे के साथ पहुंचने लगे थे। इस दौरान छठ मइया के भजनों से घाट गुंजायमान रहे। व्रती महिलाओं ने उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोला। रुद्रपुर की कल्याणी नदी स्थित धोबी घाट, लेक पैराडाइज, तीन पानी डैम, ग्राम गंगापुर स्थित शिव मंदिर, प्राचीन अटरिया मंदिर, कीरतपुर, भगवानपुर, दानपुर आदि स्थानों के लोगों ने धूमधाम से छठ पर्व का समापन किया।