नई दिल्ली: अमेरिका के ऊपर आठ दिन से मंडरा रहे चीन के स्पाई (जासूसी) बैलून को यूएस एयरफोर्स ने मार गिराया। इस एक्शन के आदेश राष्ट्रपति जो बाइडेन ने दिए थे। अमेरिकी एफ-22 फाइटर पायलट्स ने स्ट्राइक की, जिसके लिए बाइडेन ने उन्हें बधाई दी है। हालांकि, इस अमेरिकी कार्रवाई पर चीन ने कड़ा ऐतराज जताया। कहा कि अमेरिका ने अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन किया है। हमारे पास भी कार्रवाई का अधिकार है और हम भी जरूरी एक्शन ले सकते हैं।
अमेरिकी एयरपोर्ट जोन में स्पाई बैलून को 28 जनवरी को प्रवेश करते हुए देखा गया था। इसके बाद उसे मोटांना क्षेत्र में उड़ते पाया गया। यह अमेरिका का एक न्यूक्लियर मिसाइल क्षेत्र है। सेना को शक था कि बैलून जासूसी कर रहे हैं और यहां की जानकरियां चीन तक पहुंचा रहे हैं। इसी कारण उन पर नजर रखी जा रही थी।
बहुत बड़े साइज के हैं बैलून
अमेरिका ने आधिकारिक तौर पर तो नहीं बताय कि चीन का बैलून
कितना बड़ा है। हालांकि, मिलिट्री ने अपने
दो एफ-22 फाइटर जेट उसके
पास भेजे, जिसके बाद एबीसी न्यूज को एक अधिकारी ने बताया
कि यह बैलून तीन बसों जितना बड़ा है। वहीं, पेंटागन के
प्रवक्ता पैट राइडर ने कहा कि बैलून सिविलियन एयर ट्रैफिक के ऊपर है, इसलिए फिलहाल हमने बैलून को तबाह करने या इसे नीचे गिराने
का फैसला नहीं लिया है। यह बैलून कुछ दिनों तक अमेरिका के एयर स्पेस में ही रहेगा।
वहीं, अमेरिका के
आसमान में चीन का स्पाई बैलून आने से दोनों देशों के बीच डिप्लोमैटिक क्राइसिस यानी कूटनीतिक
संकट पैदा हो गया है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिका के विदेश
मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने चीन के दौरे को रद्द कर दिया है। वो रविवार से दो दिन के
चीन के दौरे पर जाने वाले थे।
चीन की सफाई पर अमेरिका का पलटवार
उधर, चीन ने भी शुक्रवार
को अपने बयान में कहा था कि जिसे अमेरिका खुफिया जानकारी इकट्ठा करने वाला स्पाई
बैलून कह रहा है वो केवल एक सिविलियन एयरशिप है, जो अपने तय रूट से भटक गया। इसका इस्तेमाल केवल मौसम की
जानकारी के लिए होता है। इसके पलटवार में अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि अगर
यह सिविलियन बैलून है तो यह छह हजार किलोमीटर दूर मोंटाना तक कैसे और क्यों पहुंचा? पेंटागन ने कहा- इसे अमेरिका में निगरानी के लिए भेजा गया
था।