आज इस लेख में हम आपको बिहार के मुंगेर जिले के एक ऐसे युवक की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसने पैसों के आगे घुटने नहीं टेके और बीडीओ बनकर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनका नाम है विजय कुमार सौरभ। सौरभ ने तिलकामांझी विश्वविद्यालय से अपनी पढ़ाई करते हुए दिल्ली तक का सफर बेहद आर्थिक तंगी में पूरा किया। विजय कुमार सौरव बताते हैं कि उनके पिता बीएसएनएल में क्लर्क के पद पर हैं लेकिन घर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी जिससे पढ़ाई में काफी रुकावट आई। मन में एक एटीट्यूट था कि आईएएस बनना है, लेकिन आर्थिक संकट की वजह से उनका ये सपना पूरा नहीं हो पाया।
हालांकि एक बार वे आईएएस की तैयारी के लिए दिल्ली जाने की पूरी प्लानिंग कर चुके थे, लेकिन पैसों के अभाव में उन्हें अपना प्लान कैंसिल करना पड़ा। सौरभ कहते हैं कि आईआईटी का एक कोर्स जो अखबार में आया था और 90 दिनों का था, जिसे करने के लिए बाद में वे दिल्ली भी गए लेकिन आर्थिक तंगी की वजह से पिता जी ने 65 दिनों में ही उन्हें वापस घर बुला लिया था। इसके बाद वे घर पर ही रहकर कंपटीशन का तैयारी करने लगे। इसी दौरान उनकी मुलाकात विवेकानंद सिंह से हुई जिन्होंने उन्हें बताया कि सिविल सर्विस के लिए सिविल सर्वेंट की तरह सोचना पड़ता है।
उन्होंने कहा अगर बीपीएससी निकालना है तो सिविल सर्वेंट के तरह बोलना होगा, सिविल सर्वेंट की तरफ चलना होगा, सिविल सर्वेंट की तरह रहना होगा, तभी आप भी पैसे निकाल सकते हैं, फिर सौरभ ने बीपीएससी क्वालीफाई कर लिया, जब उनके पिता ने उन्हें इसकी जानकारी दी तो वह ज्वाइन करने के लिए नहीं जा रहे थे. लेकिन परिवार के दबाव और घर की माली हालत को देखते हुए ज्वाइन कर लिया और अब बीडीओ बन कर अपनी सेवाएं दे रहे हैं।