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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 14 Dec 2022 1:30 pm IST

मनोरंजन

काका के लिए हाथ तक काट लेती थीं लड़कियां, जानें कैसे बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार बने राजेश खन्ना


हिंदी सिनेमा जगत के पहले सुपरस्टार माने जाने वाले राजेश खन्ना की आज 76वीं जयंती हैं। अमृतसर के एक पंजाबी परिवार ने जन्मे राजेश खन्ना अपने जमाने के जाने माने रोमांटिक स्टार थे। उस दौर की लड़कियां राजेश खन्ना की ऐसी दीवानी थीं कि उन्हें देखने के लिए वे कालेज बंक करके सिनेमाहाल पहुंच जाती थीं। लड़कियों के बीच राजेश खन्ना का ऐसा चार्म इतना था कि वे उनके लिए अपना हाथ तक काट लेती थीं। बॉलीवुड में काका के नाम से फेमस राजेश खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री को लगभग 180 फिल्में और 163 फीचर फिल्में में दी हैं। उन्होंने महज तीन साल (1969-71) में हिंदी सिनेमा जगत को 15 सोलो हिट फिल्में दी थीं। यही वजह थीं कि उन्हें बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार का दर्जा मिला। राजेश खन्ना एक बेहतरीन एक्टर होने के साथ-साथ एक अच्छे निर्देशक व निर्माता भी थे। 
फिल्मों में कदम रखने से पहले राजेश खन्ना रंगमंच से जुड़े थे और बाद में यूनाईटेड प्रोड्यूसर एसोसिएशन द्वारा आयोजित ऑल इंडिया टैलेंट कान्टेस्ट में भाग लेकर जीत हासिल की। राजेश खन्ना ने साल 1966 में चेतन आंनद की फिल्म ‘आखिरी खत’ से फ़िल्मी दुनिया में कदम रखा था लेकिन इस फिल्म के बाद तीन साल तक उन्हें  इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने के लिए संघर्ष  करना पड़ा। इसके बाद उन्हें शक्ति सामंत की फिल्म 'आराधना' में काम करने  का मौका मिला। इस फिल्म से राजेश खन्ना की ऐसी किस्मत चमकी कि उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा।  बेहतरीन गीत-संगीत और दमदार अभिनय से सजी इस फिल्म की ‘गोल्डन जुबली’ कामयाबी ने राजेश खन्ना को इंडस्ट्री में ‘स्टार’ के रूप में स्थापित कर दिया।
फिल्म  'आराधना' की जबरदस्त सफलता के बाद राजेश खन्ना शक्ति सामंत के प्रिय अभिनेता हो गए। इसके बाद उन्हें  शक्ति के साथ 'कटी पतंग', 'अमर प्रेम', 'अनुराग', 'अजनबी', 'अनुरोध' और 'आवाज' में काम करने का मौका मिला। रोमंटिक हीरो के तौर पर स्थापित हो चुके राजेश खन्ना उस दौर की लड़कियों की बीच इतने पॉपुलर थे कि वे उन्हें अपने खून से प्रेम पत्र लिखा करती थीं और उससे ही अपनी मांग भर लिया करती थीं। साल 1972 में सिनेमाघरों में रिलीज हुई फिल्म ‘आनंद’ में राजेश खन्ना के अभिनय का नया रंग देखने को मिला, जिसने दर्शकों के दिलो दिमाग में कभी न मिटने वाली छाप छोड़ दी। इस फिल्म का निर्देशन ऋषिकेश मुखर्जी ने किया था। इसके बाद वर्ष 1969 से 1976 के बीच कामयाबी के सुनहरे दौर में राजेश खन्ना ने जिन फिल्मों में काम किया उनमें अधिकांश फिल्में हिट रहीं। साल 1985 में आई फिल्म ‘अलग अलग’ के जरिये राजेश खन्ना ने निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। 
राजेश खन्ना ने 'दो रास्ते',' सच्चा झूठा', 'आन मिलो सजना', 'अंदाज दुश्मन',' अपना देश', 'प्रेम कहानी', 'सफर', 'दाग', 'खामोशी', 'इत्तेफाक',' 'आप की कसम',  महबूब की मेहदी', 'मर्यादा', 'राजपूत', 'अंदाज', 'नमकहराम', 'रोटी', 'महबूबा', 'कुदरत', 'दर्द',  'धर्मकांटा', 'सौतन', 'अवतार', 'अगर तुम ना होते', 'आखिर क्यों',, 'खुदाई', 'आ अब लौट चले'  'अमृत', 'स्वर्ग' जैसी फिल्में जैसी कई और बेहतरीन फिल्मों में काम किया और अपने अभिनय का लोहा मनवाया। आज राजेश खन्ना भले ही हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके शानदार अभिनय को फिल्म जगत कभी भी नहीं भुला सकता है।