DevBhoomi Insider Desk • Thu, 24 Mar 2022 1:12 pm IST
रानीखेत के गौरवशाली अतीत को वापस लाने में जुटी छावनी परिषद
पर्यटन के क्षेत्र में ब्रिटिशकालीन रानीखेत का गौरवशाली अतीत रहा है। 1969 में ब्रिटिश शासकों ने यहां की शुद्ध आबोहवा और प्राकृतिक खूबसूरती को देखते हुए छावनी बसाई तो धीरे धीरे यहां बसासत बढ़ने लगी और महानगरों से लोग भी बड़ी तादात में यहां छुट्टियां बिताने आने लगे। बाद के वर्षों में यह नगरी पर्यटन नगरी के रूप में प्रसिद्ध हो चली। नगर में तमाम स्थानों पर शिलापटों पर कुमाऊं की प्राचीन संस्कृति को दर्शाते पारंपरिक वाद्य यंत्र, इन्हें बजाते लोगों की चित्र उकेरे गए, लेकिन यह चित्र लंबे से समय गुमनामी में थे, इधर अब छावनी परिषद ने पर्यटन सीजन के मद्देनजर इन चित्रों का सौंदर्यीकरण कार्य शुरू कर दिया है।पर्यटन नगरी रानीखेत में आजादी के बाद से पर्यटन गतिविधियों में इजाफा हुआ। यहां विश्व विख्यात चौबटिया उद्यान, एशिया का दूसरे नंबर का गोल्फ मैदान के अलावा तमाम मंदिर पर्यटकों की गतिविधियों का मुख्य आकर्षण का केंद्र रहे हैं। चौबटिया के निचले तल पर स्थित भालू डैम, प्रख्यात हैड़ाखान मंदिर, हिमालय की लंबी श्रृंखलाओं का दीदार केंद्र मजखाली पर्यटकों की पसंदीदा जगह रही हैं। यहां हर साल लाखों देशी और विदेशी सैलानी आते हैं लेकिन राज्य बनने के बाद पर्यटन का क्षेत्र उपेक्षित हो गया। ना तो यहां मनोरंजन स्थल बढ़े और ना ही रोपवे निर्माण हुए। हालांकि छावनी परिषद की तरफ से रानीझील सहित ठंडी रोड पर पथ भ्रमण पथों का निर्माण किया गया लेकिन कोई विशेष प्रगति नहीं हुई। हालांकि छावनी क्षेत्रों में भी अब विकास कार्यों के लिए राज्य सेक्टर से धन की व्यवस्था होने लगी है लेकिन मनोरंजन स्थलों के विकास के लिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फिलहाल छावनी परिषद ने इन चित्रों की सुध ली है। बाहर से पर्यटक यहां कुमाऊंनी संस्कृति का दीदार कर सकेंगे।