पत्नी से बिना मंजूरी लिए शारीरिक संबंध बनाने को रेप के दायरे में लाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गयी है।
दरअसल, इससे संबंधित कई और याचिकाएं कोर्ट में दायर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब इन सभी मामलों में सुनवाई के लिए नौ मई की तारीख तय की है। कोर्ट में सुनवाई के बाद तय होगा कि मैरिटल रेप यानी शादी के बाद बिना पत्नी की मंजूरी के शारीरिक संबंध बनाना अपराध है या नहीं। कई मामलों में महिलाओं ने अपने पतियों के खिलाफ मैरिटल रेप की शिकायतें दर्ज करवाईं हैं। वहीं, बड़ी संख्या में लोगों की दलील होती है कि, शादीशुदा दंपति के बीच बने शारीरिक संबंध को रेप नहीं माना जा सकता है।
इसको लेकर हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक में कई याचिकाएं दायर हुईं हैं। इसमें मांग की गई है कि, बिना पत्नी की सहमति के बनने वाले शारीरिक संबंध को अपराध की श्रेणी में शामिल किया जाए। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NHFS-5) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 32 प्रतिशत महिलाओं ने अपनी शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा का अनुभव किया है।
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, 18 से 49 साल की आयुवर्ग में विवाहित महिलाएं, जिन्होंने वैवाहिक शारीरिक या यौन हिंसा का अनुभव किया है, उन्हें शारीरिक चोटें आईं हैं। भारत में अभी आईपीसी की धारा 375 के तहत ही ऐसे मामले दर्ज किए जाते हैं। ये रेप से जुड़े मामले होते हैं।