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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 4 Aug 2022 3:59 pm IST


गर्भवतियों की मौत का सिलसिला उत्तराखंड में कब थमेगा! डॉक्टर बढ़े पर पर मौत के केस नहीं घटे


उत्तराखंड में डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ने के बावजूद गर्भवतियों की मौत के मामले बढ़ रहे हैं। पिछले पांच सालों में गर्भवतियों की मौत के आंकड़ों में लगातार इजाफा हो रहा है। कभी इलाज न मिलने, कभी एम्बुलेंस न मिलने और कभी प्रसव की दिक्कतों की वजह से आए दिन गर्भवतियां दम तोड़ रही हैं। 

एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है दूसरी तरफ पहाड़ की महिलाओं को जीवन बचाने के लिए समय पर इलाज नहीं मिल रहा। राज्य में पिछले पांच सालों में 798 गर्भवतियों की मौत हुई। यह स्थिति तब है जब मातृ व शिशु कल्याण के लिए अनेक योजनाएं चलाई जा रही हैं और देश के ज्यादातर हिस्सों में मातृ मृत्यु दर का ग्राफ नीचे गिर रहा है।

उत्तराखंड में पिछले पांच सालों में डॉक्टरों की संख्या में पचास प्रतिशत का इजाफा हुआ है। 2017 में राज्य में जहां कुल 1500 डॉक्टर तैनात थे वह संख्या अब बढ़कर 2300 के करीब हो गई है। इसी तरह अस्पतालों की सुविधाओं में भी काफी इजाफा हुआ है। लेकिन उत्तराखंड में मातृ मृत्यु दर के मामले कम होने की बजाए बढ़ रहे हैं।