देहरादून। बेजोड़ पक्षी विविधता वाले उत्तराखंड में भले ही परिंदों की लगभग सात सौ प्रजातियां पाई जाती हों, मगर यह भी सच है कि गौरैया की संख्या में लगातार कमी देखी जा रही है। इसके कारणों की पड़ताल के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) और बांबे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (बीएनएचएस) के सहयोग से वन विभाग सर्वे कराने जा रहा है। फिर सर्वे रिपोर्ट के आधार पर राज्य में गौरैया संरक्षण के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। इसके केंद्र सरकार ने प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैंपा) के तहत पांच करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई है।