चंपावत- चंपावत विधानसभा क्षेत्र को एक बार फिर मायूसी मिली। शुक्रवार को उत्तराखंड में बनाए गए 17 नए दायित्वधारियों में से चंपावत जिले के हिस्से एक भी नहीं आया। पिछले साल जनवरी में भी चंपावत के हाथ खाली रहे। और चंपावत की ये उपेक्षा भी तब है, जब राज्य बनने के बाद पहली बार जिले की दोनों विधानसभा सीटों पर केसरिया रंग छाया।
उत्तराखंड विधानसभा में एक नामित विधायक सहित कुल 71 विधायक है। लेकिन उनसे ज्यादा 89 दायित्वधारी हैं। उत्तराखंड के अब तक हुए चार विधानसभा चुनाव में चंपावत जिला पहली बार 2017 में केसरिया रंग में रंगा। पहली बार यहां की दोनों विधानसभा सीटों में कमल खिला। चंपावत से कैलाश चंद्र गहतोड़ी और लोहाघाट सीट से पूरन सिंह फर्त्याल दूसरी बार विधानसभा पहुंचे। खासतौर पर चंपावत सीट से भाजपा ने प्रदेश में तीसरे बड़े अंतर (17360 वोटों) से जीत दर्ज की थी। लेकिन अभूतपूर्व नतीजा देने के बावजूद चंपावत जिले को न तो सरकार में प्रतिनिधित्व मिला और नहीं दर्जा मंत्रियों में जगह मिली। बस इसमें लोहाघाट विधानसभा क्षेत्र से ताल्लुक रखने वाले हयात सिंह माहरा अपवाद रहे। जिन्हें तीन साल पहले राज्य सहकारिता परिषद उपाध्यक्ष बनाया गया।