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DevBhoomi Insider Desk
• Tue, 28 Feb 2023 3:42 pm IST


कभी ठेला लगाकर पालते थे परिवार का पेट, अब हैं रेस्टोरेंट के मालिक, दूसरों को दे रहे रोजगार


कहते हैं मन के हारे हार है, मन के जीते जीत। बेतिया पूर्वी कारगाहियां के रहने वाले 35 वर्षीय मामा और 28 वर्षीय भांजे पर ये कहावत एकदम चरितार्थ होती है। परिवार की आर्थिक ठीक न होने की वजह से दोनों ने 3 साल पहले फास्ट फूड का एक छोटा ठेला लगाना शुरू किया था। वे गली मोहल्लों में टहल कर फास्टफूड बेचा करते थे। कभी एक जगह  ठेला खड़ा करके बिजनेस करने की सोची तो लोगों ने उन्हें भगाना शुरू कर दिया। किसी ने कहा ठेला यहां से हटाओ तो किसी ने कहा आगे बढ़ाओ। ये सब सुनने के बाद भी दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और आज उनकी अपनी 2 पक्की दुकान है।एक रेस्तरां फास्ट फूड का और दूसरा बिरयानी हाउस।
   28 वर्षीय सोनू बनाते हैं कि आज से महज 3 से साढ़े 3 वर्ष  पहले उन्होंने अपने मामा के साथ मिलकर फास्ट फूड की एक छोटी सी ठेला गाड़ी पर बिजनेस शुरू किया था। ठेले पर सब कुछ मिलकर लगभग 1500 रुपए तक का सामान रहता था। वहीं उनकी एक दिन की कमाई 1000 से 1500 रुपए तक होती थी। इस काम में मेहनत ज्यादा थी लेकिन उस हिसाब से लाभ बेहद कम था। सड़कों पर लोग बोलते रहते थे, कोई कहता था दरवाजे के सामने से ठेले को हटाओ तो  कोई कहता था ठेले को यहां मत लगाओ। ये सब  सुनने के बाद भी उन्होंने अपना काम जारी रखा, जिसका नतीजा है कि    आज वे रोजाना 5000 से 5500 रुपए तक कमाते हैं और उनकी पक्की व स्थाई दुकान। ऐसे में अब उनकी मेहनत भी कम हो गई है और अब लोग इज्जत भी देते हैं। उन्होंने कहा कभी हम सड़कों पर टहलते थे लेकिन अब हम दूसरों को रोजगार देते हैं।