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DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 7 Jan 2022 6:31 pm IST

जन-समस्या

तमाम सरकारें बदली लेकिन वनराजियों की किस्मत का आज तक नहीं हुआ फैसला


एक बार फिर फिजा में चुनावी शोर गूंजने लगा है। राजनीतिक दलों के नेता तमाम मुद्दों को लेकर वादों और दावों के साथ जनता के बीच पहुंचने लगे हैं लेकिन हर बार की तरह इस बार के चुनावी शोर में भी वनराजि ऐसे मतदाता होंगे जो न किसी राजनीतक दलों के लिए चुनावी मुद्दा बनेंगे और न ही नई सरकार बनने पर इनकी किस्मत का फैसला होगा।

पिथौरागढ़ जिले में निवास करने वाले वनराजि (वन रावत) उत्तराखंड की अकेली आदम जनजाति है। डीडीहाट, धारचूला और कनालीछीना विकासखंड के नौ गांवों में वनराजि जनजाति के 202 परिवार रहते हैं। इनकी आबादी करीब 702 है। डीडीहाट तहसील के वनराजि गांव मदनपुरी व कूटा चौरानी में कुल 54 परिवार, धारचूला तहसील के किमखोला, भक्तरवा, चिफलतरा व गणां गांव में कुल 96 परिवार, कनालीछीना विकासखंड के कंतोली, औलतड़ी और कुलेख तोक में 51 वनराजि परिवार निवास करते हैं। इनमें मतदाताओं की संख्या लगभग 550 है। कभी कंदराओं में रहने वाली यह आदम जनजाति पिछले पांच दशकों में तमाम झंझावातों के बीच कच्चे-पक्के मकानों तक तो पहुंच गए लेकिन आज भी मुख्य धारा में शामिल नहीं हो सके हैं।