गरीब परिवारों से ताल्लुक रखने वाले बच्चे जब बड़े अधिकारी बनते हैं तो वे न सिर्फ मिसाल कायम करते हैं बल्कि बहुत से बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बनते हैं। आईएएस अधिकारी श्वेता अग्रवाल उन्ही में से एक हैं, जिनकी सफलता की कहानी छात्रों को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रोत्साहित करती है। एक किराना दुकानदार के घर में जन्मी श्वेता अग्रवाल ने अपनी मेहनत के दम पर यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा क्लियर की और आईएएस ऑफिसर बन इतिहास रचा। श्वेता ने तीन बार यूपीएससी की परीक्षा पास की लेकिन अच्छी रैंक न आने की वजह से उन्हें आईएएस आफिसर का पद नहीं मिल पा रहा था। कड़ी मेहनत के बाद श्वेता ने साल 2016 में यूपीएससी में 19वीं रैंक हासिल की और आईएएस बनीं।
श्वेता की प्रारंभिक शिक्षा सेंट जोसेफ कॉन्वेंट बैंडेल स्कूल से कंप्लीट हुई थी। इसके बाद उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, कोलकाता से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और सिविल सर्विस की तैयारी में जुट गईं। श्वेता ने सिविल सेवा परीक्षा दो बार क्रैक की थी, लेकिन उनका सलेक्शन आईएएस ऑफिसर के पद के लिए नहीं हो पाया था और उन्हें सिर्फ आईएएस अधिकारी बनना था। ऐसे में श्वेता ने तीसरी बार फिर से यूपीएससी परीक्षा दी और 19वीं रैंक हासिल की। इस बार उनका आईएएस बनने का सपना पूरा हो गया।उन्हें बंगाल कैडर दिया गया।
बता दें कि श्वेता ने अपने पहले प्रयास में 497वीं रैंक हासिल की थी, जिसके बाद उनका चयन आईआरएस सेवा के लिए हुआ था। इसके बाद 2015 में श्वेता ने दोबारा UPSC क्रैक किया और इस बार उन्होंने 141वीं रैंक हासिल की, लेकिन इस बार भी उन्हें आईएएस का पद नहीं मिला। फिर श्वेता ने साल 2016 में तीसरी बार यूपीएससी की परीक्षा दी। इस बार उन्होंने ऑल इंडिया में 19वीं रैंक हासिल की और फिर उन्हें आईएएस का पद मिला।