Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Mon, 6 Feb 2023 7:00 am IST


नौ फरवरी को रखा जाएगा भगवान गणपति के छठे स्वरूप द्विजप्रिय संकष्टी व्रत, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त


प्रत्येक वर्ष 24 चतुर्थी व्रत रखे जाते हैं। जिनमें से कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी व्रत के नाम से जाना जाता है। अब जब फाल्गुन मास प्रारंभ होने वाला है तो यह जानना जरूरी है कि इस मास में पहला चतुर्थी व्रत कब रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास का पहला संकष्टी चतुर्थी व्रत 9 फरवरी के दिन रखा जाएगा। इस दिन भगवान गणेश के छठे स्वरूप द्विजप्रिय गणेश की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि संकष्टि चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और भक्तों को धन-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए जानते हैं द्विजप्रिय संकष्टि चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 9 फरवरी को प्रातः 4 बजकर 53 मिनट पर होगा और इस तिथि का समापन 10 फरवरी को सुबह 6 बजकर 28 मिनट पर होगा। इस दिन चंद्रोदय का समय रात्रि 9 बजकर 13 मिनट निर्धारित किया गया है। मान्यता है कि चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रोदय के बाद ही व्रत का पारण किया जाता है।

पूजा नियम 
शास्त्रों के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन साधकों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान-ध्यान करना चाहिए और भगवान गणेश का स्मरण करते हुए पूजा की तैयारी करनी चाहिए। इसके बाद लाल वस्त्र धारण करें, ऐसा इसलिए क्योंकि यह रंग गणपति जी को बहुत प्रिय है। पूजा काल में भगवान गणेश की प्रतिमा को अच्छे से साफ करें और फिर एक चौकी पर नया वस्त्र बिछाकर उनकी प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद गणपति जी की पूजा षडशोपचार विधि से करें और विघ्नहर्ता के मूल मंत्र का जाप निरंतर करते रहें। पूजा काल में श्री गणेश स्तोत्र और गणेश चालीसा का पाठ अवश्य करें। अंत में गणेश जी की आरती करें और अज्ञानता वश हुई गलतियों के लिए माफी मांग लें।