नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करेंगे। लेकिन, इससे पहले विपक्ष की 19 पार्टियों ने इस कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिया है। बुधवार को सभी दलों ने एक ज्वाइंट स्टेटमेंट में इसके बायकॉट करने की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि जब लोकतंत्र की आत्मा ही संसद से सोख ली गई है तो हमें नई इमारत की कोई कीमत नहीं दिखती। वहीं, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी पहले ही कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से करवाने की मांग कर चुके हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को प्रेस
कॉन्फ्रेंस की। इसमें उन्होंने बताया कि इस नए संसद भवन (नई संचरना) को रिकॉर्ड
समय में बनाने के लिए 60 हजार श्रमयोगियों ने
अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी
करेंगे। राजनीति तो चलती रहती है। हमने सभी दलों को
आमंत्रित किया है। हमारी इच्छा है कि इस कार्यक्रम में सभी हिस्सा लें।
नए संसद भवन में रखा जाएगा सेंगोल
इस दौरान उन्होंने कहा कि सेंगोल को नए संसद भवन में रखा जाएगा।
सेंगोल चोल साम्राज्य से चली आ रही है परंपरा है, इसे संग्रहालय में
रखना ठीक नहीं है। सेंगोल अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक है। पंडित जवाहर लाल नेहरू ने भी सेंगोल को स्वीकार
किया था। इसे आजादी के बाद भुला दिया गया था। इसका हमारे इतिहास में अहम योगदान है।
सेंगोल अमृतकाल का प्रतिबिंब होगा।
इन दलों ने किया कार्यक्रम का बायकॉट
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (TMC), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP), आम आदमी पार्टी (AAP), द्रविड़ मुनेत्र
कड़गम (DMK), जनता दल-यूनाइटेड
(JDU), राष्ट्रीय जनता
दल (RJD), समाजवादी पार्टी (SP), उद्धव ठाकरे की शिवसेना गुट, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM), कम्युनिस्ट
पार्टी ऑफ इंडिया (CPI), करेला कांग्रेस
मनी (KCM), विदुथलाई चिरूथाइगल कच्छी, राष्ट्रीय लोक दल (RLD), मार्क्सवादी
कम्युनिस्ट पार्टी (MCP), नेशनल कॉन्फ्रेंस
(NC), सीपीआई (एम), रेवॉल्युशनरी सोशलिस्ट पार्टी (RSP) और मरूमलारची द्रविड मुनेत्रद कडगम (MDMK) इस कार्यक्रम का
हिस्सा नहीं बनेंगे।
क्या बोले विपक्षी नेता?
राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने कहा- हमारी संसद ऐतिहासिक
है। यह अभी 100 चल सकती है। इसे बनाने में आरएसएस
और भाजपा का कोई
हाथ नहीं है। अब नई इमारत बनाकर उसमें शिला लगाई जाएगी कि इसका उद्घाटन
प्रधानमंत्री मोदी ने किया है। इसी के लिए इतना खर्चा हो रहा है। लेकिन, राष्ट्रपति जो इस देश की प्रमुख हैं, आदिवासी महिला हैं और पार्लियामेंट की कस्टोडियन हैं। आप
उनको नहीं बुला रहे। उनके हाथों से नए संसद भवन का उद्घाटन कराना तो प्रोटोकॉल है, लेकिन आप नहीं कर रहे हैं।
टीएमसी सांसद डेरेक ओ
ब्रायन ने संसद की नई बिल्डिंग का राष्ट्रपति द्वारा उद्घाटन नहीं करने पर उनका
अपमान बताया। उन्होंने कहा कि यह भारत के दलित आदिवासी और वंचित समाज का
अपमान है। पीएम मोदी के लिए बिल्डिंग का उद्घाटन सिर्फ उनके लिए है, हमारे लिए नहीं। संसद
सिर्फ एक नई इमारत नहीं है बल्कि यह पुरानी परंपराओं, मिसालों, मूल्यों, नियमों और भारतीय
लोकतंत्र की नींव है।
आप नेता संजय सिंह ने कहा कि AAP भी उद्घाटन कार्यक्रम
का बॉयकाट करेगी, क्योंकि प्रधानमंत्री
ने राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं किया।
सीपीआई नेता डी राजा ने
भी कहा कि उनकी पार्टी उद्घाटन समारोह में शामिल नहीं होगी। CPI (M) ने भी इस समारोह
का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि राष्ट्रपति
देश की पहली नागरिक हैं और उन्हें उद्घाटन करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि
मोदी सरकार सिर्फ चुनावी फायदा उठाने के लिए दलित और आदिवासी समुदाय से राष्ट्रपति
बनाती है।
21 मई को राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए लिखा था कि संसद के
नए भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को ही करना चाहिए, प्रधानमंत्री को
नहीं।
न्यूज एजेंसी PTI के अनुसार, कांग्रेस ने कहा कि 28 मई को हिंदुत्व विचारक
विनायक दामोदर सावरकर की जयंती है। इसी दिन नए संसद भवन का उद्घाटन करना राष्ट्र
निर्माताओं का अपमान है।